*डेंगू ज्वर*
*परिचय :डेंगू बुखार में रोगी के पूरे शरीर की हडि्डयों में ऐसा दर्द होता है जैसे कि सभी हडि्डयां टूट गई हों। डेंगू बुखार एक संक्रामक बुखार हैं जो क्यूलिक्स नामक मच्छरों के द्वारा एक रोगी से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करके रोग को पहुंचाता है। इस तरह का बुखार होने पर रोगी को भूख नहीं लगती है, रोगी को हर समय बुखार 103 से 105 डिग्री तक बना रहता है। एक सप्ताह तक रोग को पसीना, दस्त, नकसीर(नाक से खून आना) आने लगती है। अगर यह बुखार ज्यादा बढ़ जाता है तो रोगी के कान में दर्द और सूजन तथा फेफड़ों में सूजन आ जाती है।*
*लक्षण : डेंगू बुखार होने पर रोगी को अचानक बिना खांसी व जुकाम के तेज बुखार हो जाता है, रोगी के शरीर में तेज दर्द होकर हडि्डयों में पीड़ा होती हैं। रोगी के सिर के अगले हिस्से में तेज दर्द होता है, आंख के पिछले भाग में दर्द होता है, रोगी की मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है, रोगी को भूख कम लगती है और उसके मुंह का स्वाद खराब हो जाता है, रोगी की छाती पर खसरे के जैसे दाने निकल आते हैं, इसके अलावाजी मिचलाना, उल्टी होना, रोशनी से चिड़चिड़ाहट होना आदि लक्षण पाए जाते हैं। परन्तु कभी-कभी डेंगू बुखार में खून भी आने लगता है, जिसे हीमोरैजिक रक्तस्राव कहते हैं। हीमोरैजिक रक्तस्राव के समय के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं- लगातार पेट में तेज दर्द रहना, त्वचा ठंड़ी, पीली व चिपचिपी होना, रोगी के चेहरे और हाथ-पैरों पर लाल दाने हो जाते हैं। हीमोरैजिक डेंगू होने पर शरीर के अन्दरूनी अंगों से खून आने लगता है। नाक, मुंह व मल के रास्ते खून आता है जिससे कई बार रोगी बेहोश हो जाता है। खून के बिना या खून के साथ बार-बार उल्टी, नींद के साथ व्याकुलता, लगातार चिल्लाना, अधिक प्यास का लगना या मुंह का बार-बार सूखना आदि लक्षण पैदा हो जाते हैं। हीमोरैजिक डेंगू अधिक खतरनाक होता हैं और डेंगू बुखार साधारण बुखार से काफी मिलता-जुलता होता है।*
*विभिन्न औषधियों से उपचार-*
**हर प्रकार की बुखार की अचूक व रामबाण औषधि है :-तुलसी के पत्ते अजवायन,सौठ,दालचीनी,गिलोय,कालमेघ,त्रिकुटा,लौंग,कालीमिर्च,मेथी,अदरक,निम,छोटी पीपर इन्हें मिलाकर (तुलसी महत्वपूर्ण है विशेष में जो घर मे उबलब्ध हो उसे जरूर मिलाये अन्यथा सिर्फ तुलसी का ही उपयोग करते रहें) नियमित दिन में 3 से 4 बार 3 से 7 दिन लगातार इस काढ़े का सेवन कराए इसे स्वादिष्ट बनाने हेतु गुड़ या किशमिश या मुन्नका मिला सकते हैं या ठंडा होने पर शहद*
*1. सर्पगंधा : सर्पगंधा के कन्द (फल) का चूर्ण, कालीमिर्च, डिकामाली घोड़बच और चिरायता के चूर्ण को एकसाथ मिलाने से बनी मिश्रित औषधि में से 1 से 2 ग्राम को सुबह और शाम लेने से डेंगू के बुखार में लाभ मिलता है।*
*2. अंकोल :
3 ग्राम अंकोल की जड़ के चूर्ण को 2 ग्राम मीठी बच या शुंठी के चूर्ण के साथ चावल के माण्ड में पकाकर सेवन करने से डेंगू के बुखार में लाभ होता है। यह फ्लू में भी लाभकारी है।*
*लगभग एक ग्राम से कम की मात्रा में अंकोल की जड़ की छाल को घोड़बच या सोंठ के साथ चावल के माण्ड में उबालकर रोजाना सेवन करने से डेंगू ज्वर में लाभ मिलता है। इसके पत्तों को पीसकर जरा-सा गर्म करके दर्द वाले अंग पर बांधने से भी लाभ होता है।*
*3. यवक्षार : लगभग एक ग्राम से कम की मात्रा में यवाक्षार को नीम के पत्ते के रस या नीम के काढ़े के साथ सुबह और शाम लेने से पसीना आने से होने वाला बुखार कम होता है और शरीर का दर्द मिटता जाता है।*
*4. ईश्वरमूल : लगभग आधा ग्राम से 2 ग्राम की मात्रा में ईश्वरमूल (रूद्रजटा) का चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से डेंगू ज्वर दूर हो जाता है।*
*5. कर्पूरासव : कर्पूरासव 5 से 10 बूंद बतासे पर डालकर सुबह और शाम लेने से खून की नसें फैलती हैं, पसीना आकर बुखार, दाह (जलन) और बेचैनी कम होते जाते हैं।*
*6. चंदन : 5 से 10 बूंद चंदन के तेल को बतासे पर डालकर सुबह और शाम लेकर ऊपर से पानी से पीने से बुखार कम हो जाता है।*
*साधारण उपचार : डेंगू बुखार तेज होने पर रोगी के माथे पर ठंड़े पानी की पट्टियां रखी जा सकती हैं। हीमोरैजिक डेंगू होने पर रोगी के खून में प्लेटीनेट्स की संख्या बढ़ाने के लिए अतिरिक्त मात्रा देने की आवश्यकता होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि हीमोरैजिक डेंगू होने पर रोगी को दर्द दूर करने वाली दवा नहीं देनी चाहिए क्योंकि कई बार इन दर्द निवारक दवाओं से रोगी में खून के बहने का डर बना रहता है। इस दौरान शरीर में पानी की मात्रा और रक्तचाप को नियंत्रित करना भी जरूरी होता है। *
*होमेओपेथी द्वारा:-
*विभिन्न औषधियों से चिकित्सा-*
*1. बैप्टीशिया- इस रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 3x शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।*
*2. जेल्स- डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए इस औषधि की θ से 3x शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।*
*3. युपेट-पर्फ- डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी की हडि्डयों में दर्द भी हो रहा हो तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 1x मात्रा का उपयोग करें।*
*4. कार्बो-वेज- डेंगू ज्वर होने के साथ ही शरीर में अधिक सुस्ती महसूस हो रही हो, माथा अधिक गर्म हो लेकिन शरीर ठण्डा पड़ा हो तो रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।*
*5. सिमिसिफ्यूगा- रोगी के हडि्डयों में दर्द होने के साथ ही डेंगू ज्वर हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 3x मात्रा का उपयोग करने से रोग ठीक हो जाता है।*
*6. आर्स- इस रोग को ठीक करने में सिमिसिफ्यूगा औषधि से लाभ न मिले तो इस औषधि की 3x मात्रा का सेवन करें।*
*7. एसिड-फास- डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी में अधिक सुस्ती हो तो उसके रोग का उपचार करने के लिए इस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।*
*8. बेलाडोना- रोगी के शरीर पर लाल रंग की फुंसियां हो या सिर में दर्द हो रहा हो जिसके कारण डेंगू ज्वर पीड़ित रोगी को अधिक परेशानी हो रही हो तो उसके इस रोग का उपचार करने के लिए इस औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।*
*9. ऐकोनाइट- डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी में रोग होने के शुरुआती अवस्था में यदि तेज बुखार हो तथा बुखार लगभग 104 से 105 डिग्री के बीच में हो तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए इसकी 1x मात्रा का उपयोग करना लाभदायक होता है।*
*10. ब्रायोनिया- डेंगू ज्वर होने के साथ ही इस प्रकार के लक्षण हो जैसे- शरीर से पसीना निकलना, सिर में दर्द होना, दर्द का असर अधिकतर माथे के पीछे की ओर होना, कब्ज की समस्या होना तथा पूरे शरीर में दर्द आदि हो तो रोगी के रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 3 से 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।*
*11. लैकेसिस- डेंगू ज्वर होने के साथ ही श्लेष्मिक-झिल्लियों से खून बहने पर उपचार करने के लिए इस औषधि की 6 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।*
*12. क्रोटेलस- डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी के श्लैष्मिक झिल्लियों से खून बह रहा हो तो उपचार करने के लिए इस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ होता है*
*13. जेलसिमियम- डेंगू ज्वर होने पर यदि बुखार हल्का हो तो इस रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 1x मात्रा प्रयोग करना चाहिए।*
*14. रस-टक्स- डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी को अधिक सर्दी लगती है तथा फोड़ें फुंसियां होने के साथ ही बुखार हो, हाथ-पैरों में ऐंठन हो रही हो या गठिया हो गया हो तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए इस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना लाभकारी है।*
*15. आर्सेनिक- इस रोग के होने के साथ ही यदि अतिसार हो गया हो तो आर्सेनिक औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग करने से रोग ठीक हो जाता है।*
*प्लेटलेट्स की कमी होने का नुकसान आपके शरीर एवं स्वास्थ्य को भुगतना पड़ता है, जानिये इनको कैसे पूरा करे*
*एक स्वस्थ शरीर की निशानी है शरीर में प्लेटलेट्स की सही मात्रा होना एवं उनका सही तरीके से काम करना. लेकिन प्लेटलेट्स की कमी होने का नुकसान आपके शरीर एवं स्वास्थ्य को भुगतना पड़ता है. शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने की स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के नाम , जाना जाता है. एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट काउंट ब्लड में 150 हजार से 450 हजार प्रति माइक्रोली टर होते है.*
*लेकिन जब यह काउंट 150 हजार प्रति माइक्रोलीटर से नीचे चला जाये तो इसे लो प्लेटलेट माना जाता है. कुछ खास तरह की दवाओं, आनुवंशिक रोगों, कुछ खास तरह के कैंसर, कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट, अधिक एल्कोहल के सेवन व कुछ खास तरह के बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया के होने पर भी ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है. लेकिन घबराएं नहीं क्योंकि कुछ आहारों की मदद से ब्लड प्लेटलेट्स को प्राकृतिक रूप से बढ़ाया जा सकता है.*
*चुकंदर : चुकंदर का सेवन प्लेटलेट को बढ़ाने वाला एक लोकप्रिय आहार है. प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और हेमोस्टैटिक गुणों से भरपूर होने के कारण, चुकंदर प्लेटलेट काउंट को कुछ ही दिनों बढ़ा देता है. अगर दो से तीन चम्मच चुकंदर के रस को एक गिलास गाजर के रस में मिलाकर पिया जाये तो ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ती हैं. और इसमें एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण यह शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ाते हैं.*
*पपीता : पपीता के फल और पत्तियां दोनों का ही इस्तेमाल कुछ ही दिनों के भीतर कम प्लेटलेट को बढ़ाने में मदद करते हैं. 2009 में, मलेशिया में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के एशियाई संस्थान में शोधकर्ताओं ने पाया कि डेगू बुखार में गिरने वाले प्लेटलेट को पपीता के पत्ते के रस के सेवन से बढ़ाया जा सकता है. आप चाहें तो पपीते की पत्तियों को चाय की तरह भी पानी में उबालकर पी सकते हैं, इसका स्वाद ग्रीन टी की तरह लगेगा.*
*नारियल पानी : शरीर में ब्लड प्लेटलेट को बढ़ाने में नारियल का पानी भी बहुत मददगार होता है. नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स अच्छी मात्रा में होते हैं. इसके अलावा यह मिनरल का भी अच्छा स्रोत है जो शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं.*
*आंवला : प्लेटलेट को बढ़ाने के लिए आंवला लोकप्रिय आयुर्वेदिक उपचार है. आंवला में मौजूद भरपूर मात्रा में विटामिन सी प्लेटलेट्स के उत्पादन को बढ़ाने और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है. नियमित रूप से सुबह के समय खाली पेट 3-4 आंवला खाये. यह आप दो चम्मच आंवले के जूस में शहद मिलाकर भी ले सकते हैं.*
*कद्दू : कद्दू कम प्लेटलेट कांउट में सुधार करने वाला एक और उपयोगी आहार है. यह विटामिन ए से समृद्ध होने के कारण प्लेटलेट के उचित विकास का समर्थन करने में मदद करता है. यह कोशिकाओं में उत्पादित प्रोटीन को नियंत्रित करता है, जो प्लेटलेट के स्तर को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होता है. कद्दू के आधे गिलास जूस में एक से दो चम्मच शहद डालकर दिन में दो बार लेने से भी ब्लड में प्लेटलेस्ट की संख्या बढ़ती है.*
*गिलोय : गिलोय का जूस ब्लड में प्लेटलेट को बढ़ाने में काफी मददगार होता है. डेंगू के दौरान नियमित रूप से इसके सेवन से ब्लड प्लेट्स बढ़ने लगती हैं और आपकी प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती है. दो चुटकी गिलोय के सत्व को एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार लें या फिर गिलोय की डंडी को रात भर पानी में भिगो कर सुबह उसका छना हुआ पानी पी लें. इससे ब्लड में प्लेटलेट बढ़ने लगते हैं.*
*पालक : पालक विटामिन ‘के’ का एक अच्छा स्रोत है और अक्सर कम प्लेटलेट विकार के इलाज में मदद करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. विटामिन ‘के’ सही तरीके से होनी वाली ब्लड क्लॉटिंग के लिए आवश्यक है. इस तरह से यह बहुत अधिक ब्लीडिंग के खतरे को कम करता है. दो कप पानी में 4 से 5 ताजा पालक के पत्तों को डालकर कुछ मिनट के लिए उबाल लें. इसे ठंडा होने के लिए रख दें. फिर इसमें आधा गिलास टमाटर मिला दें. इसे मिश्रण को दिन में तीन बार पीयें. इसके अलावा आप पालक का सेवन सूप, सलाद, स्मूदी या सब्जी के रूप में भी कर सकते हैं.*
*उपलब्धता होने पर कीवी फल व बकरी का दूध सर्वोत्तम है प्लेटलेट्स को बढ़ाने हेतु*
*अमर शहीद राष्ट्रगुरु, आयुर्वेदज्ञाता, होमियोपैथी ज्ञाता स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित जी के सपनो (स्वस्थ व समृद्ध भारत) को पूरा करने हेतु अपना समय दान दें*
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*मेरी दिल की तम्मना है हर इंसान का स्वस्थ स्वास्थ्य के हेतु समृद्धि का नाश न हो इसलिये इन ज्ञान को अपनाकर अपना व औरो का स्वस्थ व समृद्धि बचाये। ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और जो भाई बहन इन सामाजिक मीडिया से दूर हैं उन्हें आप व्यक्तिगत रूप से ज्ञान दें। वन्देमातरम*