इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्या है? | Electronic Media Kya Hai in Hindi

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (What is Electronic Media in Hindi) का अर्थ है एक ऐसी विधा जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति नई तकनीक के माध्यम से देश-विदेश की खबरों के अलावा अन्य जानकारी भी प्राप्त कर सकता है।

Table of Contents

प्रस्तावना

आज के युग में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ताकत, उसका प्रभाव और उसकी क्षमता किसी से छिपी नहीं है। 20वीं सदी में जन्मे इस संचार माध्यम के सभी घटक जैसे रेडियो, टीवी, इंटरनेट और मोबाइल आज हर आधुनिक व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी हमारे जीवन को काफी हद तक प्रभावित कर रहा है। इससे सूचना के प्रसार में तेजी आई है और इसकी विश्वसनीयता बढ़ी है।

कहने का तात्पर्य यह है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आज उच्च एवं मध्यम वर्ग के लोगों की जरूरत बन गया है। शहरों में शायद ही कोई ऐसा हो जहां शाम से लेकर रात तक टीवी चालू न होता हो।

आज यह माध्यम अपनी पकड़ बना चुका है और उसी के अनुरूप ताकत हासिल कर रहा है, पत्रकारिता के बारे में हमेशा कहा जाता है कि एक तस्वीर 10000 शब्दों के बराबर होती है, ऐसे में यह सहज ही कल्पना की जा सकती है कि जहां हजारों तस्वीरें हों, उनकी ताकत क्या होगी?

हमेशा कहा जाता है कि आंखों से देखी गई बात पर कानों से सुनी बात से ज्यादा विश्वास करना चाहिए, टेलीविजन पर आंखों से सब कुछ देखा जाता है इसलिए इस पर ज्यादा विश्वास किया जाता है, टेलीविजन की सफलता का राज इसी बात में छिपा है .

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्या है (What is Electronic Media in Hindi)

पत्रकारिता एवं सूचना संचार के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एक सशक्त माध्यम है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जनसंचार का एक ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से हजारों मील दूर की गतिविधियों की लाइव जानकारी पल भर में मिल जाती है।

इसका उद्देश्य केवल समाचार प्रसारित करना ही नहीं बल्कि मनोरंजन, राय विश्लेषण, समीक्षा, साक्षात्कार, घटना विश्लेषण, विज्ञापन और कुछ हद तक समाज को प्रभावित करना भी शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुख्य घटक टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, इंटरनेट मल्टीमीडिया आदि हैं।

वरिष्ठ पत्रकार मोहनदास नैमिशराय के अनुसार- इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तात्पर्य विशेष रूप से एक ऐसी विधा से है जिसके माध्यम से व्यक्ति को नई तकनीक के माध्यम से देश-विदेश की खबरों के अलावा अन्य जानकारी भी मिलती है।

भारत में रंगीन टीवी की शुरुआत वर्ष 1982 में दिल्ली एशियाई खेलों के प्रसारण के लिए की गई थी। जिससे टीवी पब्लिसिटी की खेती बढ़ी. आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हर घर तक पहुंच गया है, चाहे वह शहर हो या गांव।

इसने भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कारण कई सामाजिक और राजनीतिक समस्याएँ भी उत्पन्न हुई हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रकार

टेलीविजन

रेडियो

इंटरनेट

स्मार्ट फोन

ईमेल

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की व्यापकता के कारण

1. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों द्वारा प्रकाश छवि को विद्युत धारा में तथा विद्युत धारा को छवि ऑसिलोस्कोप में परिवर्तित किया जा सकता है।

2. इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अपेक्षाकृत कम ऊर्जा बर्बाद करके विद्युत, ऑप्टिकल और अन्य मात्राओं को नियंत्रित कर सकते हैं।

3. इनकी क्रिया एक ही दिशा में होती है।

4. वे बहुत जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं।

5. इलेक्ट्रॉनिक लड़ियों का जीवनकाल सीमित होता है तथा उनकी टूट-फूट कम होती है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की विशेषताएँ (Electronic Media Ki visheshta)

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हम इसे देख, सुन और पढ़ सकते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जानकारी प्राप्त करने के लिए साक्षर होना आवश्यक नहीं है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 24 घंटे उपलब्ध है, समाचार चैनलों के माध्यम से कुछ ही सेकंड में समाचार प्राप्त किया जा सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कागज रहित है, इसलिए यह पर्यावरण के अनुकूल है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संचार का एक उत्कृष्ट माध्यम है क्योंकि यह मीडिया विचारों के प्रसारण की अनुमति देता है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की उपयोगिता

1. संचार के क्षेत्र में

2. मनोरंजन के क्षेत्र में

3. रोग प्रतिरोधक क्षमता के क्षेत्र में

4. चिकित्सा के क्षेत्र में

5. उद्योग में

6. अंतरिक्ष के क्षेत्र में

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लाभ

● अधिक पहुंच और विविध दर्शक वर्ग।

● तुरंत संवाद करने की क्षमता।

● एक ही समय में लोगों के बड़े समूह को संदेश भेजने में सक्षम।

● एक ही माध्यम में श्रव्य, दृश्य और सामग्री की विविधता का उपयोग करना संभव है।

● भविष्य में उपयोग के लिए सामग्री को रिकॉर्ड और संग्रहीत करने की क्षमता।

● निकट भविष्य में इस माध्यम के इंटरैक्टिव बनने की संभावना।

● लाइव प्रसारण की शुरुआत के साथ संचार में कोई बाधा नहीं।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के नुकसान

● सीमित घनिष्ठता।

● फीडबैक यांत्रिकी या सिस्टम धीमा।

● महँगा माध्यम।

● कार्यक्रम निर्माण हेतु विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता।

● ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित पहुंच।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का महत्व

आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संचार में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रिंट मीडिया धीरे-धीरे अपना आकर्षण खो रहा है और इसकी जगह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने ले ली है।

आज के समय में लोग किताबें पढ़ने की बजाय ऑडियो बुक्स सुनना पसंद कर रहे हैं, इसके अलावा लोग ऑनलाइन अखबार भी पढ़ने लगे हैं। ये बातें बताती हैं कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का आकर्षण बढ़ रहा है.

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका

विभिन्न क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओं से स्पष्ट किया जा सकता है –

1. लोकतंत्र में जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना जरूरी है। जागरूक जनता लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जागरूक और राजनीतिक रूप से जागरूक बनाता है। इसी जागरूकता के कारण हर आम चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ रहा है।

2. सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में किया जाता है। जिससे सुदूर ग्रामीण एवं पर्वतीय क्षेत्रों में भी लोग सरकारी कार्यक्रमों के प्रति जागरूक होकर उनका लाभ उठायें।

3. वैश्विक स्तर पर होने वाली घटनाओं की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुँचती है। जिससे देश की राजनीतिक स्थितियों की तुलना और चर्चा वैश्विक राजनीति से की जाती है।

4. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से राजनीतिक एवं प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार उजागर होता है जिससे जनता भ्रष्ट लोगों का असली चेहरा पहचान पाती है।

5. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रभाव से नौकरशाही में लालफीताशाही कम हो गई है। मीडिया तक लोगों की पहुंच के कारण नौकरशाही उनके काम में अनावश्यक देरी नहीं करती।

6. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लोगों को प्रमुख सामाजिक समस्याओं जैसे जाति व्यवस्था, दहेज, महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण, धार्मिक कट्टरता आदि के खिलाफ जागरूक करता है।

7. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभिन्न प्रकार के प्रेरक कार्यक्रम चलाता है, जो समाज के कमजोर, निराश और उत्पीड़ित लोगों में आशा जगाता है और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने में सक्षम बनाता है।

8. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आतंकवाद, नक्सलवाद और अलगाववाद जैसी वर्तमान प्रमुख समस्याओं का असली चेहरा जनता के सामने लाता है, जिससे सरकार को इनसे लड़ने में मदद मिलती है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समस्याएँ

जहां एक ओर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कई फायदे हैं वहीं इसने कुछ समस्याओं को भी जन्म दिया है जो इस प्रकार हैं –

1. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चैनलों की बढ़ती संख्या के कारण टीआरपी की होड़ इन चैनलों के लिए तनाव का कारण बनती जा रही है। इनकी गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहते हैं.

2. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व्यक्ति केन्द्रित होता जा रहा है, दर्शकों को आकर्षित करने के लिए नाटक और अतिरिक्त मनोरंजन के साथ कार्यक्रम परोसे जा रहे हैं। यहां वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से भागते नजर आ रहे हैं.

3. वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का काफी विस्तार हो चुका है, लेकिन इसकी कवरेज के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह ग्रामीण लोगों की समस्याओं से अछूता नजर आता है।

4. समय-समय पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर पेड न्यूज के आरोप लगते रहे हैं। चैनलों का झुकाव किसी न किसी राजनीतिक विचारधारा की ओर है जबकि मीडिया को अपनी भूमिका निष्पक्षता से निभानी चाहिए।

5. किसानों की आत्महत्या, महिलाओं पर अत्याचार या अपराध जैसे कई गंभीर मुद्दों को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संवेदनशीलता से नहीं देखता है या ऐसे मामलों को दिखाने में कंजूसी करता है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की प्रकृति एवं अवधारणा

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपनी प्रकृति में प्रिंट मीडिया से एक कदम अलग है। भले ही इसका विकास प्रिंट मीडिया से ही हुआ है, लेकिन यह प्रिंट मीडिया के आदर्शों और परंपराओं की छाया में ही फल-फूल रहा है। लेकिन इसकी प्रकृति इसे कई मायनों में प्रिंट मीडिया से एक कदम अलग बनाती है।

हम सभी ने बचपन में एक बोध कथा जरूर सुनी होगी। जिसमें एक गुरु के चार शिष्य ज्ञान प्राप्त करके लौट रहे होते हैं और उन्हें अपने दिमाग में एक शेर का कंकाल मिलता है। एक उसे अपने मन्त्र बालों से जोड़कर उसकी संरचना बनाता है, दूसरा उसे मांस और त्वचा देता है और तीसरा उसमें प्राण फूंकता है।

इस बोध कथा के शेर की तरह जहां प्रिंट मीडिया खबरों की संरचना तैयार कर उसे सजा रहा है, वहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने खबरों में जान फूंक दी है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की यही विशेषता उसे एक अलग पहचान देती है। अखबारों के इंटरनेट संस्करण भी आने लगे हैं और वह भी पाठकों तक तेजी से पहुंचने लगे हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ताकत के सामने यह कुछ भी नहीं है।

दुनिया के एक हिस्से में होने वाली किसी भी घटना, इवेंट या प्रेस कॉन्फ्रेंस का सीधा प्रसारण पूरी दुनिया को एक साथ दिखाया या सुनाया जा सकता है।

दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की अवधारणा ही समाचारों के तेज, सजीव, वास्तविक और व्यापक प्रसारण से जुड़ी है। समाचारों को सबसे तेज या सजीव रूप में दिखाकर और सुनाकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चमत्कारी प्रभाव पैदा करता है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और आज

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सफर रेडियो और टेलीविजन तक ही सीमित नहीं है, इस सफर की राह में नई मंजिलें जुड़ती जा रही हैं। नए जमाने का माध्यम बनने की होड़ में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के परिवार में नए चेहरे भी शामिल हो रहे हैं।

इंटरनेट के बाद अब मोबाइल फोन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का नया क्षेत्र बनता जा रहा है। आज पूरा विश्व संचार क्रांति के दौर से गुजर रहा है। सूचना और प्रौद्योगिकी के तालमेल से उपजी इस क्रांति ने हर चीज़ को प्रभावित किया है।

आज सूचना प्रौद्योगिकी हमारे जीवन के हर क्षेत्र में जबरदस्त प्रभाव डाल रही है। सूचना प्रौद्योगिकी का आधार कम्प्यूटर है।

कंप्यूटर ने सूचना प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर दुनिया को एक वैश्विक गांव में बदल दिया है। इंटरनेट इसका प्रमाण है. आज विश्व में 10 लाख से अधिक कंप्यूटर नेटवर्क इंटरनेट से जुड़े हुए हैं।

प्रतिदिन 50 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। इंटरनेट ने हमारी जीवनशैली को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। और कई मामलों में तो ये पूरी तरह बदल चुका है.

हालाँकि भारत में पहला कंप्यूटर 1955 में कोलकाता के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में स्थापित किया गया था, लेकिन आज यह देश में सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र बन गया है।

देश के दूरदराज के इलाकों को फाइबर ऑप्टिकल केबल नेटवर्क और सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट से जोड़ा गया है। और इसने एक मीडिया के रूप में इंटरनेट के महत्व को भी साबित कर दिया है। ईमेल के माध्यम से लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने में इंटरनेट एक तेज़ पुल के रूप में काम करने लगा है।

आज इंटरनेट न सिर्फ लोगों को एक-दूसरे से जोड़ रहा है बल्कि मीडिया के लिए भी वरदान साबित हो रहा है। इंटरनेट के माध्यम से हम प्रिंट मीडिया की तरह समाचार पढ़ सकते हैं। और आप रेडियो की तरह सुन सकते हैं और टेलीविजन की तरह समाचार देख सकते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का ट्रांसमिशन सिद्धांत

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रसारण सिद्धांत में निम्नलिखित बातें शामिल हैं

ध्वनि: ध्वनि ही एकमात्र उपकरण है जो दृश्य चित्र बनाने में मदद करता है।

छायांकन: ध्वनि और चित्रों का एक साथ प्रसारण ही टेलीविजन की वास्तविक प्रक्रिया है। इसके प्रसारण में ध्वनि के साथ-साथ चित्रों के कलात्मक प्रयोग पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।

संगीत: संगीत मनोरंजन का एक ऐसा साधन है जिससे न केवल इंसान बल्कि सांप और हिरण जैसे जानवर भी मोहित हो जाते हैं।

भाषा: रेडियो की भाषा आम आदमी से जुड़ी भाषा है, जो झोपड़ी से महल तक सुनी जाती है, जबकि टेलीविजन की भाषा एक विशेष वर्ग के लिए है। रेडियो पर आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया जाता है।

संक्षिप्त: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एक समयबद्ध प्रसारण है, इसलिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की विशेषताओं के बारे में बहुत कुछ कहा जाना बाकी है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के बीच अंतर

मुद्रण माध्यम

प्रिंट मीडिया सहयोगी प्रकाशनों के माध्यम से समाचार और सूचना का उत्पादन और प्रसार करता है।

इसके मुख्य प्रकार समाचार-पत्र, पुस्तकें, पत्रिकाएँ आदि हैं।

प्रिंट मीडिया 24 घंटे उपलब्ध नहीं है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में प्रिंट मीडिया धीमी गति से काम करता है।

यह महंगा है।

प्रिंट मीडिया की पहुंच सीमित है, यह एक विशेष क्षेत्र तक ही उपलब्ध है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सभी दर्शकों के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से समाचार या ज्ञान साझा करता है।

इसके मुख्य प्रकार इंटरनेट, टेलीविजन, रेडियो आदि हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 24 घंटे उपलब्ध है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया की तुलना में बहुत तेज़ है।

यह प्रिंट मीडिया की तुलना में काफी सस्ता माध्यम है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पहुंच विश्वव्यापी है।

सारांश

भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और खासकर टीवी मीडिया एक नया मीडिया है। प्रिंट मीडिया की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और यहां तक कि टीवी मीडिया की उम्र भी ज्यादा नहीं है और अपनी विकास यात्रा के क्रम में टीवी को अभी भी बच्चा ही कहा जा सकता है।

हालाँकि, देश में टीवी समाचार की शुरुआत प्रिंट मीडिया के आदर्शों और परंपराओं के आधार पर हुई थी। लेकिन अपनी पहुंच, प्रभाव और पकड़ के चलते इसने तेजी से लोकप्रियता के नए मानक स्थापित कर दिए।

इन सबके बावजूद इसने भारत में टीवी न्यूज़ में अपनी एक अलग जगह बनाई है। यहां इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का लगातार विस्तार हो रहा है। इसमें नये-नये रंग उभर कर सामने आ रहे हैं और कहा जा सकता है कि आने वाला समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का ही होगा।

FAQ

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को एक अलग पहचान क्या देती है?

संरचनात्मक गुणवत्ता.

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की अवधारणा किससे संबंधित है?

समाचारों के तेज़, सजीव, वास्तविक और व्यापक प्रसारण के माध्यम से।

भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को व्यापक पहचान और विश्वसनीयता किस तरह की खबरों से मिली?

गुजरात भूकंप, कारगिल युद्ध, सुनामी और लोकसभा चुनाव, सुनामी जैसी घटनाओं की कवरेज के कारण।

आधुनिक टेलीविजन का इतिहास कितना पुराना है?

करीब 100 साल पुराना.

पहला लाइव टेलीविज़न कब और कहाँ था?

1939 में अमेरिकी रेडियो ब्रॉडकास्टिंग कंपनी ने पहली बार न्यूयॉर्क में सीधा प्रसारण किया।

रंगीन टेलीविजन का आविष्कार कब हुआ था?

रंगीन टेलीविजन का आविष्कार 1946 में हुआ था।

भारत में टेलीविजन का आगमन कब हुआ?

भारत में टेलीविजन का आगमन 1969 में हुआ।

विश्व का पहला रेडियो स्टेशन कब और कहाँ स्थापित किया गया था?

दुनिया का पहला रेडियो प्रसारण केंद्र 1920 में अमेरिका के पिट्सबर्ग में स्थापित किया गया था।

बीबीसी का प्रारंभिक नाम क्या था?

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी।

भारत में पहला रेडियो प्रसारण कब और कहाँ हुआ था?

भारत में पहला रेडियो प्रसारण 8 अगस्त 1921 को मुंबई से हुआ था।

टीआरपी क्या है?

टीआरपी निजी चैनलों की पहुंच और लोकप्रियता को मापने की एक विधि है जिसमें किसी भी समय किसी चैनल को देखने वाले लोगों की संख्या एक विशेष उपकरण, पीपुल्स मीटर के माध्यम से निर्धारित की जा सकती है, जो कुछ दशकों से घरों में स्थापित है।

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