अवसादी चट्टान किसे कहते हैं | Sedimentary Rocks In Hindi

अवसादी चट्टान (Sedimentary Rocks in Hindi) से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही ‘अवसादी चट्टान’ कहते हैं।

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अवसादी चट्टान (Sedimentary Rocks in Hindi)

खनिज स्रोत: भूसतह पर या निकट अपक्षय और अपरदन या रासायनिक क्रिया द्वारा

शैल निर्माण प्रक्रिया: तलछट जमाव, निक्षेपण दबाव और शिलीभवन

संघटन एवं गठन: मुख्यतः अवसादों से निर्मित, कुछ क्रिस्टलीय, स्तरित/ क्रिस्टलीकृत भी हो सकते ह

वर्गीकरण: वर्गीकरण के लिए बनावट और खनिज संरचना का उपयोग

उदाहरण: बालुकाश्म, शेल, पंकाश्म, चूनाश्म, जीवाश्ममय चूनाश्म

अवसादों से बनी चट्टानों को अवसादी चट्टान कहते हैं अवसादी चट्टानों का अध्ययन अवसादी शैलिकी के अंतर्गत करते है जिसमें अवसादो एवम अवसादी शैलों के गुण, उद्भव एवम उपस्थिति शामिल है।

अवसाद एक प्रकार के ठोस कण होते है। जिनका निर्माण पहले से विद्यमान शैलों के खंडन, जैविक पदार्थों के अवशेष या रासायनिक अवक्षेपण से होता है।

पूर्ववर्ती शैलों के अपक्षय एवम अपरदन से टूटने के कारण बने छोटे छोटे टुकड़ो को खण्डज कहते है। इन खण्डजो को नदियां बहाकर ले जाती है, तथा समुद्र में निक्षेपित कर देती है, इनसे बनी अवसादी शैले खण्डज अवसादी शैले कहलाती है।

इसके आलावा समुद्र में रासायनिक अवक्षेपण के द्वारा निक्षेपित अवसादों से बनी शैलों को अखण्डज अवसादी शैल कहते है अवसादों के एकत्रित होने के प्रक्रम को अवसादन कहते है अवसादन के तहत अवसादों का बनना, उनका अभिगमन, निक्षेपण आदि का अध्ययन सम्मिलित है।

अवसादी चट्टानों का गठन

अवसादी चट्टानों के गठन के तहत चट्टानों के खनिज घटकों की आकृति, आकार, गोलकरण एवं विन्यास का अध्ययन किया जाता है इसमें खनिज कणों के भौतिक गुणों एवं आपसी संबंधों का अध्ययन भी किया जाता है।

अवसादी चट्टानों के गठन के लक्षणों से अवसादी चट्टानों के इतिहास की जानकारी मिलती है गठन के घटकों को निम्नलिखित लक्षणों के अध्ययन से समझा जा सकता है-

1. कणों का आकार: अवसादी चट्टानों के कणों का आकार मुख्यतः अपक्षय की विधियों, पूर्व स्थित चट्टानों के गठन एवं खनिज संगठन, पदार्थ अधिगमन की विधि एवं अवधि पर आधारित है।

पूर्व स्थित चट्टानों के अपक्षय से उत्पन्न खनिजों का आकार बड़ा होता है। जिसका जितनी लम्बी अवधि तक अधिगमन होगा उतने ही वे घर्षण के कारण ज्यादा गोल होते जायेगे अगर उन कणों की कठोरता कम है तो वे जल्दी ही छोटे कणों में बदल जायेंगे अगर घुलन शील है तो और जल्दी गाद बन जायेंगे

2. कणों की आकृति: अवसादी शैलों में उपस्थित घटक खण्डों की आकृति अपक्षय द्वारा प्राप्त हुए खंडो के मूल आकार और उसके अधिगमन की विधि एवं खनिजों के भौतिक लक्षणों पर निर्भर है कुछ चट्टानों के अपक्षय से कोणीय, कुछ से गोलाकार कण प्राप्त होते है।

3. गोल कारण: अपक्षय से उत्पन्न मूल कोणीय खनिजों एवं शैल खंडो पर अभिगमन का प्रभाव उन्हें चिकना बनाता है तथा उनकी कोणीयता को दूर करता है। इसे ही हम गोलकरण कहते है। गोलकरण की मात्रा आकार पर निर्भर करती है।

बृहत्तम कण सबसे अधिक गोलाकार होते है, गोलकरण में कठोरता का भी योगदान रहता है, जो खंड मृदु होते है उनके अधिक गोलाकार होने की संभावना रहती है।

अवसादी चट्टानों की संरचनाएं

अवसादी चट्टानों में विभिन्न प्रकार की संरचनाएं पाई जाती है जो की चट्टानों के गठन, वर्ण, विक्षेपण के वातावरण आदि के अनुसार बनती हैं

1. स्तरण: अवसादी शैलो का एक विशिष्ट लक्षण उनका संस्तरों, परतों या स्तरों में निक्षेपण होता है और इन्हीं को स्तरण कहते है। स्तरण का बोध खनिज संघठन, गठन, कणों के आकार, ससंजन या वर्ण में भिन्नता के कारण होता है।

तथा वो प्रायः समानांतर स्तरों में प्रत्यक्ष दिखाई देता है। विभिन्न स्तरों के तल को संस्तरण तल कहते है। जो दो संस्तरण तलो के बीच आबद्ध हो उसे संस्तर अथवा स्तर कहते है कागज के समान बहुत पतली स्तरों को स्तरिका कहते है।

2. वेग प्रवाही: इस संस्तरण में स्थूल, धारा संस्तरित पदार्थ एवं पतली क्षैतिज स्तरिकाओ में एकान्तरण होता है इस तरह बनी संरचना को वेग प्रवाही संरचना कहते है यह संस्तरण का एकान्तरण पानी के तेज या धीमे वेग के कारण बनता है ।

3. तरंग चिन्ह: तरंग चिन्ह या उर्मिल आकृति जो विशिष्ट परिस्थितियों में अवसादी शैलो में परिरक्षित हो जाती है ये तरंग चिन्ह लहरों की क्रिया के कारण बनते है जो बालू अवसादों पर भी ऐसी तरंग उत्पन्न कर देती है।

4. पंक विदर: पंक विदर सूक्ष्म कणीय अवसादी शैलो में परिरक्षित होते है जो किसी भी जलाशय के नितल में देखे जा सकते है यह विदरों का ऐसा जाल बनाते है जो बहुभुजीय क्षेत्रो को परिबद्ध करते है। मृण्मय अवसाद जब एक बहुत लम्बे समय वायुमंडल में अनावृत रहती है तो उनके सूखने के कारण पंक विदर बन जाते है।

5. लीक एवं पद चिन्ह: यह ऐसे चिन्ह है जो मृदु अवसाद पर किसी जंतु के चलने या रेंगने को सूचित करते है एम्फीबिया, सरीसृप और पक्षियों के पद चिन्ह प्रायः स्तरों में परिरक्षित पाए जाते हैं।

अवसादी शैलों का खनिज संघटन

अवसादी शैलों के ज्यादातर खनिज पूर्व स्थित शैलों से ही प्राप्त होते हैं। पर उनमें दो वर्ग हो सकते हैं। एक वो जो शैल अपघटन से प्राप्त अविलेय अवशेष एवं दूसरे अपेक्षाकृत स्थायी खनिज जो पूर्व स्थित शैलों से प्राप्त हो।

प्रथम वर्ग में यह खनिज समूह हैं :

(क) मृतिका खनिज, तथा केओलिनाइट और हैलोइजाइट।

(ख) अभ्रक एवं क्लोराइट।

(ग) एल्यूमिनियम हाइड्रॉक्साइड, बॉक्साइट आदि।

(घ) फेरिक ऑक्साइड एवं हाइड्रॉक्साइड।

द्वितीय वर्ग में अनेक खनिज आते हैं जिसमें क्वार्ट्ज सबसे ज्यादा मिलता है। जिसके उपरान्त फेल्सपार पाया जाता है।

कुछ गौण खनिज यथा जरकॉन, रूटाइल, टूरमैलीन, गार्नेट, कायनाइट, मैग्नेटाइट इत्यादि अधिकतर अवसादों में उपस्थित होते हैं।

इनके अलावा वे घटक जिनकी उत्पत्ति अन्य किसी भी समय पर हुई और बाहर से अवसाद में लाये गये हों, उन्हें अन्यत्रजात कहते हैं उदाहरण गुटिका एवं खनिज कण। दूसरे वे घटक जो अवसाद के अन्दर अनुवर्ती परिवर्तनों द्वारा नये सिरे से उत्पन्न हो उन्हें तत्रजात (स्थानीय रचित) कहते हैं।

अवसादी शैलों का वर्गीकरण  (Classification of Sedimentary Rocks)

अवसादी शैलों के सुव्यवस्थित अध्ययन के लिए उनका वर्गीकृत करना आवश्यक है। अवसादी शैलों के गुण वर्गीकरण का आधार बनते हैं, जैसे गठन, रासायनिक एवं खनिज संघटन आदि।

उपरोक्त गुणों के आधार पर अवसादी शैलों को मुख्य रूप से दो वर्गों में बांटा गया है – यथा खण्डज एवं अखण्डज अवसादी शैलें।

1. खण्डज अवसादी शैलें

यह वर्गीकरण खण्डजों के आकार के आधार पर किया गया है।

i. गुटिकामय – जो कि मुख्यतः गोलाश्म, गोलाश्मिका एवं गुटिका से बनी शैलें होती हैं। उदाहरण संगुटिकाश्म एवं संकोणाश्म शैलें।

ii. बालुकामय: मुख्यतः विभिन्न प्रकार की बालुश्रेणी के कणों के सम्पीडन से बनी शैलें हैं। जैसे बालू से बालुकाश्म का निर्माण होता है।

iii. मृण्मय: गाद एवं मृतिका श्रेणी के कणों से बनी हुई शैलें। जैसे गाद के सम्पीडन से गाद प्रस्तर एवं मृतिका के सम्पीडन से शेलैं समद्ध बनती है।

2. अखण्डज अवसादी शैलें:

इस समूह की अवसादी शैलों का वर्गीकरण मुख्य रूप से खनिज एवं रासायनिक संघठन पर आधारित है।

i. चूनामय: कैल्शियम एवं मैग्निशियम के कार्बोनेट से बनी शैलें जैसे चूनाश्म।

ii. कार्बनमय: कार्बनमय पदार्थों से बनी शैलें जैसे लिग्नाइट।

iii. लोहमय: लोह या मैंगनीज ऑक्साइड से बनी शैलें, जैसे लोहप्रस्तर।

iv. सिलिकामय: सिलिका के विभिन्न रूपों से बनी शैलें, जैसे – चर्ट।

v. एल्युमिनामय: एल्युमिनियम ऑक्साइड से बनी शैलें, जैसे लैटराइट।

vi. फॉस्फेटमय: फॉस्फोरस युक्त बनी शैलें, जैसे – फॉस्फोराइट।

अवसादी चट्टानों की विशेषताएं

1. अवसादी चट्टानों में जीवावशेष पाये जाते हैं। इन अवशेषों से इन चट्टानों के समय तथा स्थान का भूतकालीन परिचय प्राप्त हो जाता है।

2. ये चट्टानें को मल तथा रवे विहीन होती हैं।

3. इन चट्टानों के निर्माण में छोटे-बड़े सभी प्रकार के कणों का योगदान होता है, जिससे कारण इनके आकार में भी भिन्नता रहती है।

4. इन चट्टानों में परतें पायी जाती हैं जो स्तरों के रूप में एक-दूसरी पर समतल रूप में फैल जाती हैं।

5. सागरीय जल में बनने वाली चट्टानों में धाराओं तथा लहरों के चिह्न स्पष्ट रूप से दृष्टि गोचर होते हैं।

6. इन चट्टानों को चाकू अथवा किसी लोहे की छड़ से खुरचने पर धारियाँ स्पष्ट रूप से बन जाती हैं। इन खुरचे हुए पदार्थों के विश्लेषण से पता चलता है कि इन चट्टानों में विभिन्न खनिज पदार्थों का मिश्रण होता है।

7. ये चट्टानें सरन्ध्र अर्थात् प्रवेश्य होती हैं। जल इन चट्टानों में शीघ्रता से प्रवेश कर जा ता है।

8. नदियों की बाढ़ द्वारा लाई गयी मिट्टी पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो उष्णता के कारण इनमें दरारें पड़ जाती हैं। इसे पंक-फटन कहते हैं।

9. परतदार चट्टानों में जोड़ तथा सन्धियाँ पायी जाती हैं।

10. कोयला, पेट्रोल, जिप्सम, डोलोमाइट व नमक जैसे खनिज अवसादी शैलों में ही पाये जाते हैं।

11. कृषि -कार्य, सिंचाई के साधनों का विकास करने तथा भवन निर्माण में अवसादी शैलों का अधिक महत्त्व है।

अवसादी शैलों के निर्माण की प्रक्रिया

अवसादी शैल पहले से उपस्थित शैलों के अपघटन और विघटन के कारण बनते हैं जो आग्नेय, कायांतरित या पूर्व निर्मित अवसादी शैल भी हो सकते हैं।

ये शैल, वायु, नदी, हिमनद, महासागरों और भूमिगतजल जैसे भूवैज्ञानिक कारकों द्वारा अपक्षय (भौतिक, रासायनिक और जैविक) की प्रक्रिया से निर्मित होते हैं।

इसलिए, उन्हें द्वितीयक शैलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अवसादी शैल वह शैल हैं जो पृथ्वी की सतह पर निम्न प्रक्रिया द्वारा निर्मित होते है, पूर्व उपस्थित शैल के भौतिक या रासायनिक अपक्षय द्वारा निर्मित शैल के अदृढ़ टुकड़ों या अपरदी कणों के एक साथ जुड़ने से;

i. कवक की वृद्धि या कवक के टुकड़ों को एक साथ जुड़ने या मिलाकर;

ii. जीवित जीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों के संचय और बाद में परिवर्तन द्वारा; या

iii. जलीय विलयनों से खनिजों के अवक्षेपण द्वारा।

अवसाद या तलछट अवसादी शैलों के अग्रगामी हैं जो पृथ्वी की सतह पर अदृढ़ कणों की परतों जैसे बालू, अवसाद और कवक के टुकड़ों के रूप में पाए जाते हैं।

ये कण अपक्षय और अपक्षरण की प्रक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं। अवसाद या तलछट के अदृढ़ कण निम्न पांच चरणों के द्वारा अवसाद को अवसादी शैलों में परिर्वतित कर देते हैं :

1. अपक्षय: सम्पूर्ण रासायनिक, भौतिक और जैविक प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जो शैलों को विभिन्न आकारों के टुकड़ों और घुलनशील तत्वों में परिर्वतित कर देता है।

2.अपरदन: उन प्रक्रियाओं के संघटन को संदर्भित करता है जो अलग-अलग शैलों या आवरण प्रस्तर को घर्षण, उत्पाटन चलती हवा, जल या हिम आदि के माध्यम से पृथक करता है।

3. परिवहन: गुरुत्वाकर्षण, हवा, जल या हिम द्वारा हो सकता है। वे अवसाद वहन कर सकते हैं। अवसाद ले जाने के लिए एक माध्यम की क्षमता इसकी श्यानता और वेग पर निर्भर करती है।

4. निक्षेपण: वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अवसाद वेग में कमी के कारण परिवहन माध्यम से बाहर हो जाता है या संतृप्ति या तापमान/दबाव में परिवर्तन के कारण माध्यम अवसाद वहन करने में सक्षम नहीं रहता अतः घुलनशील पदार्थ अवक्षेपित हो जाता है।

5. शिलीभवन और प्रसंघनन: का अर्थ है अदृढ़ अवसादों का ठोस शैल में रूपान्तरण है। इस प्रक्रिया में अवसाद परतों में जमा हो जाती है और अपने स्वयं के वजन (जो उसे दबाता जाता है) के नीचे संकुचित और संपीड़ि़त हो जाती है और ठोस पिंड निर्मित करती है।

अवसादी चट्टानों के उपयोग

विश्व की सभ्यता के विकास का ड्रामा इन्हीं मैदानों में निरन्तर रचा जाता रहा है।

बलुआ पत्थर, चूने के पत्थर, आदि का उपयोग भवन निर्माण में किया जाता है जो चूने के पत्थर से तैयार किया जाता है। चूना एवं डोलोमाइट व अन्य मिट्टियाँ इस्पात उद्योग में काम में आती हैं चूने के पत्थर का उपयोग सीमेण्ट बनाने में किया जाता है जोकि एक अवसादी चट्टान है।

सीमेण्ट उद्योग विश्व के प्रमुख उद्योगों में गिना जाता है।

जिप्सम का उपयोग विविध प्रकार के उद्योगों में किया जाता है चीनी मिट्टी के बर्तन, सीमेण्ट, आदि में इसका उपयोग किया जाता है यह भी एक अवसादी चट्टान है।

विभिन्न प्रकार क्षार, रसायन पोटाश एवं नमक जो कि अवसादी चट्टानों से प्राप्त होते हैं विभिन्न केमिकल इंडस्ट्रीज के आधार हैं। कोयला एवं खनिज़ तेल भी अवसादी चट्टानों से प्राप्त होते हैं।

औद्योगिक विकास कोयले के कारण ही सम्भव हो सका है और कोयला भी इन्हीं चट्टानों से प्राप्त होता है।

FAQ

अवसादी चट्टानों से आप क्या समझते हैं?

अवसादी चट्टान (Sedimentary rock) से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही ‘अवसादी चट्टान’ कहते हैं।

अवसादी चट्टान और उदाहरण क्या है?

अवसादी चट्टानों में बलुआ पत्थर, चूना पत्थर आदि शामिल हैं।

अवसादी चट्टान का दूसरा नाम क्या है?

अवसादी चट्टानों को परतदार चट्टानें और द्वतीयक चट्टानें भी कहा जाता है।

अवसादी चट्टानें कहां हैं?

रासायनिक तलछटी चट्टानें समुद्र से लेकर रेगिस्तान से लेकर गुफाओं तक कई स्थानों पर पाई जा सकती हैं।

अवसादी शैल में कौन कौन से खनिज पाए जाते हैं?

कोयला, बाक्साइट, नमक, जिप्सम, फास्फेट, मैगनेसाइट, सीमेंट का अयस्क, चूने का पत्थर, इत्यादि

अवसादी चट्टानें परतों में क्यों बनती हैं?

अवसादी चट्टानें परतदार होती हैं। कुछ का निर्माण तब होता है जब चट्टानों और खनिजों के कण पानी या हवा से बाहर स्थिर हो जाते हैं। अन्य तब बनते हैं जब खनिज सीधे पानी से बाहर निकलते हैं । तलछटी चट्टानों की पहचान उनके खनिजों और बनावट से की जाती है।

आग्नेय चट्टान अवसादी चट्टान और कायांतरित चट्टान क्या है?

आग्नेय, अवसादी और कायापलट। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के अंदर गहराई में पिघली चट्टानों से बनती हैं । तलछटी चट्टानें रेत, गाद, मृत पौधों और जानवरों के कंकालों की परतों से बनती हैं। रूपांतरित चट्टानें अन्य चट्टानों से बनती हैं जो भूमिगत ताप और दबाव से परिवर्तित होती हैं।

अवसादी चट्टानों का रंग कैसा होता है?

अधिकांश भाग के लिए तलछट और तलछटी चट्टान के रंग दो स्पेक्ट्रा के भीतर आते हैं: हरा-ग्रे से लाल और जैतून-ग्रे से काला

अवसादी चट्टानों को बनने में कितना समय लगता है?

सीमेंटीकरण तब होता है जब घुले हुए खनिज तलछटों के बीच के स्थानों में जमा हो जाते हैं। ये खनिज तलछट को एक साथ बांधने के लिए गोंद या सीमेंट के रूप में कार्य करते हैं। तलछटी चट्टानों के निर्माण की प्रक्रिया को पूरा होने में केवल चट्टानों के निर्माण का एक नया चक्र शुरू होने में लाखों वर्ष लगते हैं।

अवसादों से आप क्या समझते हैं?

वह पदार्थ जो किसी तरल के तल में बैठ जाता है। पानी, हवा या ग्लेशियरों द्वारा जमा किया गया पदार्थ।

अवसादी चट्टानों में कौन सा खनिज पाया जाता है?

इस प्रकार, आठ सामान्य आग्नेय खनिजों में से केवल क्वार्ट्ज, के-फेल्डस्पार और मस्कोवाइट आमतौर पर तलछटी चट्टानों में देखे जाते हैं। ये खनिज मिट्टी के खनिजों, कैल्साइट, डोलोमाइट, जिप्सम और हेलाइट द्वारा तलछटी चट्टानों में शामिल होते हैं। खनिज अपक्षय के दौरान मिट्टी के खनिज बनते हैं।

अवसादी संरचना कैसे बनती है?

तलछटी संरचनाएं आमतौर पर क्षरण, निक्षेपण या तलछट के पश्च-निक्षेपण विरूपण के परिणामस्वरूप बनती हैं।

अवसादी चट्टानों की सबसे विशिष्ट विशेषता क्या है?

तलछटी चट्टानों की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उनकी परतदार संरचना है।

अवसादी चट्टान कठोर है या मुलायम?

आम तौर पर, तलछटी चट्टानें काफी नरम होती हैं और आसानी से टूट सकती हैं या उखड़ सकती हैं।

नमक की चट्टान कौन सी चट्टान है?

रासायनिक अवसादी चट्टान

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