आग्नेय चट्टान किसे कहते हैं | Igneous Rocks In Hindi

आग्नेय चट्टाने (Igneous Rocks In Hindi) वे चट्टानें हैं, जिनकी रचना धरातल के नीचे स्थित तप्त एवं तरल चट्टानी पदार्थ, अर्थात् मैग्मा, के सतह के ऊपर आकार ठंढे होकर ठोस रूप में जम जाने से होती है।

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आग्नेय चट्टान (Igneous Rocks In Hindi)

आग्नेय शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के अग्नि शब्द से हुई है एवं आग्नेय शैल उन्हें कहते हैं जो मूल रूप से तरल पदार्थ के ठंडा एवं ठोस होने से बनती है पृथ्वी की सतह के नीचे बनी इस गर्म एवं तरल द्रव्यमान को मैग्मा कहते हैं।

मैग्मा मुख्य रूप से, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, अल्युमिनियम, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटैशियम, टाइटेनियम आदि से बना होता है।

इसमें पानी की भाप एवं विभिन्न गैसें भी होती है, यही मैग्मा जब ज्वालामुखी द्वारा भूमि की सतह पर आ जाता है तो हम इसको लावा कहते हैं।

भूपर्पटी के अंदर मैग्मा के ठोस होने से बनी शैलों को अंतरबेधि शैले कहते हैं, जबकि भूपर्पटी के ऊपर बाहर आये लावा के ठोस होने से बनी शैलों को वहिर्वेधि शैलें कहते हैं।

खनिज स्रोत: शैलों का भूपर्पटी या प्रावार के ऊपरी भाग में पिघलना।

शैल निर्माण प्रक्रिया: शीतलन, क्रिस्टलीकरण और मैग्मा का संपीङन।

संघटन एवं गठन: क्रिस्टल और/या कांच से निर्मित, मुख्यतः अंतग्रन्थित गठन, ज्वालामुखीय शेलों की स्थिति में परतें भी संभावित।

वर्गीकरण: वर्गीकरण के लिए गठन, खनिज और रासायनिक संरचना का उपयोग।

उदाहरण: ग्रेनाइट, बेसाल्ट, डोलराइट, गैब्रो, डायोराइट।

आग्नेय चट्टानों की उत्पत्ति (Origin Of Igneous Rocks)

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि आग्नेय चट्टानों की उत्पत्ति मैग्मा के जमने से होती है, मैग्मा के विभिन्न रासायनिक संगठन विद्वान होते हैं, जिन में मौजूद तत्वों की रासायनिक प्रवृत्ति, उपस्थित ताप एवं दाब के अनुसार खनिजों का निर्माण होता है।

जिस तरह के खनिज एक साथ बनेंगे इस अनुसार भिन्न-भिन्न आग्नेय चट्टानों का निर्माण होगा विभिन्न तरह के खनिजों का निर्माण मैग्मा के विभेदन के कारण होता है विभेदन ऐसा प्रक्रम है जिसमें एक मूल समांग मैग्मा ऐसे भागों में विभक्त हो जाता है।

जिनका रासायनिक संगठन पृथक पृथक होता है मैग्मा के विभेदन का प्रक्रम विभिन्न तरीकों से संपूर्ण होता है जैसे अमिश्रीणीयता विभेदन में दो रासायनिक संगठन विमिश्रण मैं रहते हैं।

उनके जमने से से जो सेल बनेगी वह भिन्न होगी मैग्मा का विभेदन क्रिस्टलन द्वारा भी होता है जिसमें खनिजों के क्रिस्टलित होने के ताप एवं दाब की पैमाने अलग-अलग हो सकते हैं।

कुछ खनिज 1000 सेंटीग्रेड पर क्रिस्टलित होते हैं तो कुछ खनिज 600 डिग्री सेंटीग्रेड पर क्रिस्टलित होते हैं इस तरह भिन्न-भिन्न तापमान का पृथक पृथक खनिजों का निर्माण होगा।

मैग्मा के विभेदन गुरुत्वीय विभेदन द्वारा भी होता है जिसमें भारी खनिज तल में सबसे पहले जमा हो जाते हैं तथा कम अपेक्षित घनत्व वाले बाद में जमते रहते हैं।

इस तरह अलग-अलग खनिजों के स्तर बन जाते हैं मैग्मा का विभेदन निष्पंदन द्वारा भी होता है यह विभेदन अपेक्षाकृत अधिक तरल मैग्मा में होता है जब भारी खनिजो के क्रिस्टलों के जाल बनते हैं।

उसे अवस्था में कोई बाहरी दाब पड़ता है, तो उन क्रिस्टलों में व्याप्त मैग्मा का निष्पंदन हो जाता है तथा वह मैग्मा एक पृथक चट्टान बना देता है, इस तरह एक समांग मैग्मा के विभेदन से विभिन्न तरह की आग्नेय चट्टानों की उत्पत्ति होती है।

आग्नेय चट्टानों के प्रकार (Types Of Igneous Rock)

भू वैज्ञानिक उपस्थिति के आधार पर आग्नेय चट्टानों को तीन प्रकारों में विभेदित किया गया है-

1. वितलीय चट्टान (Plutonic Rocks)

वह चट्टानें जो बहुत गहराई में मैग्मा से बनती है, वितलीय चट्टान कहलाती है इनमें दीर्घ से मध्यम आकार के कणों का निर्माण होता है उदाहरण ग्रेनाइट।

2. ज्वालामुखी चट्टान (Volcanic Rocks)

यह चट्टानें लावा से पृथ्वी की सतह पर बनती है इनमें सूक्ष्म कणों का निर्माण होता है उदाहरण बेसाल्ट।

3. अधिवितलीय चट्टान (Hypabyssal Rocks)

यह चट्टान उपरोक्त दोनों के बीच की अवस्था में बनती है, यानी ना ही ज्यादा गहराई में और ना ही पृथ्वी की सतह पर बनती है। यह प्रायः पृथ्वी की सतह के नीचे 2 किलोमीटर की गहराई तक बनती है, इनमें दीर्घ क्रिस्टल अंतर्वेशी गठन मिलता है उदाहरण डोलेराइट।

आग्नेय चट्टानों का गठन (Formation Of Igneous Rocks)

आग्नेय चट्टानों के गठन से तात्पर्य है, कि उनमें उपस्थित खनिजों का आकार, आकृति एवं उनके विन्यास का अध्ययन गठन के अध्ययन के लिए निम्नलिखित चार बातों का ध्यान रखना जरूरी है-

1. क्रिस्टलाइन की मात्रा या क्रिस्टलता

2. खनिजों की कणों का आकार या कणिकता

3. क्रिस्टलों की आकृति

4. खनिज कणों का आपसी संबंध

1. क्रिस्टलता

क्रिस्ट्लित और आक्रिस्टलित खनिज पदार्थों के पारस्परिक अनुपात से क्रिस्टलता मापी जाती है, जो चट्टान पूर्णतः क्रिस्टलों से बनी हो उसे पूर्णक्रिस्टली कहते है। जो चट्टान पूर्णतः अक्रिस्टलीय प्रकृति के पदार्थ से बनी हो तो उसे पूर्ण कांचिक कहते है। जब चट्टान कुछ क्रिस्टलों और कुछ कांच से बनी हो तो उसे अंश क्रिस्टली कहते है।

2. कणिकता

चट्टानों की खनिज कणों या क्रिस्टलों का आकार 1 मिली मीटर से भी कम सूक्ष्मता से लेकर 1 मीटर से भी बड़ा हो सकता है। यदि क्रिस्टल नग्न आंखों से दिखाई दे तो चट्टान को दृश्य क्रिस्टलीय कहते हैं अगर नग्न आंखों से नहीं दिखाई दे तो अदृश्य क्रिस्टलीय कहते हैं। यदि दृश्य क्रिस्टलीय चट्टानों के खनिज क्रिस्टलों का औसत विकास 5 मिली मीटर से अधिक हो तो उन्हें स्थूल क्रिस्टली कहते हैं।

3. क्रिस्टलों की प्रकृति

जब किसी कृष्ण चट्टान में क्रिस्टल पूर्णतः फलकों से सीमित हो तो उसे पूर्णफलकीय कहते है, और जब क्रिस्टल फलक अनुपस्थित हो तो उसे अफलकीय  कहते है। और इन दोनों के मध्य की दशा को अंश फलकीय कहा जाता है इसके आलावा जो क्रिस्टल प्रत्येक दिशा में प्रायः सामान्यतः विकसित हो वे समविमीय कहलाते है।

4. क्रिस्टलो का पारस्परिक सम्बन्ध

पारस्परिक सम्बन्धो पर आधारित गठन को सम कणिक, असम कणिक, दैशिक एवम अन्तः वर्धित समुदायों में विभाजित कर सकते है।

आग्नेय चट्टानों की संरचना (Composition Of Igneous Rocks)

संरचना शब्द के अंतर्गत आग्नेय चट्टानों के कुछ दीर्घ आकार के लक्षण सम्मिलित किये जाते है, जोकि विभिन्न आकृतियों के लिए होते है, जैसे

i. स्फोटगर्ति तथा वातमकी संरचना

ii. खंड लावा एवं रज्जुक लावा

iii. शिरोधान संरचना

iv. प्रवाही संरचना

v. संधि संरचना

आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण (Classification Of Igneous Rocks)

आग्नेय चट्टानों के वर्गीकरण में शैल वैज्ञानिकों के विचार एकमत नहीं है, अतः आग्नेय शैलों का वर्गीकरण तीन प्रकार के कारको पर आधारित है, जो इस प्रकार है-

1. चट्टानों का रासायनिक संघठन

2. चट्टानों का खनिज संघठन

3. चट्टानों के गठनों के विशिष्ट गुण

इसके अलावा उनकी भूवैज्ञानिक उपस्थिति की अवस्था के आधार पर भी आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण किया गया है। जिनके बारे में आग्नेय चट्टानों के प्रकारों में बताया जा चुका है।

आग्नेय चट्टानों के सेलकर खनिजों में उपस्थित सिलिका की संतृप्ता के आधार पर वर्गीकरण निम्नानुसार किया गया है-

(अ) अधिसीलिक चट्टान: जिसमे सिलिका प्रतिशत 66% से अधिक होता है।

(ब) अल्पसीलिक चट्टान: जिसमें सिलिका का प्रतिशत 45 से 52 होता है।

(स) मध्य सीलिक चट्टान: जिसमे सिलिका प्रतिशत 52 से 66 हो।

(द) अत्यल्प सीलिक चट्टान: जिसमे सिलिका का प्रतिशत 45 से काम हो।

गठन के आधार पर आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण तीन वर्गों में किया गया है-

(अ) दृश्य क्रिस्टली चट्टान: जिनके खनिज कणों का आकार 5 मिली से बड़ा होता है।

(ब) अदृश्य क्रिस्टली चट्टान: जिनमें खनिजों का आकार 2 मिली से छोटा होता है। 

(स) कांचीय चट्टान: जिनमें सभी खनिज अक्रिस्टलीय होते है।

इसके अलावा भूवैज्ञानिक उपस्थिति के आधार पर आग्नेय चट्टानों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। यह पहले ही आग्नेय चट्टानों के प्रकारों में बताई जा चुकी है-

1. वितलीय चट्टान (Plutonic Rocks)

2. ज्वालामुखी चट्टान (Volcanic Rocks)

3. अधिवितलीय चट्टान (Hypabyssal Rocks)

खनिजों का संघटन और अनुपात (Composition And Proportions Of Minerals)

आग्नेय शैलों में पाये जाने वाले खनिजों को प्राथमिक और द्वितीयक खनिजों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्राथमिक खनिज : ये शैलों के निर्माण के समय या अन्य शब्दों में मैग्मा के शीतलन और क्रिस्टलीकरण के दौरान निर्मित होते हैं। प्राथमिक खनिजों को उपखंडों में विभाजित किया जा सकता है।

1. अनिवार्य खनिज – वे खनिज हैं जिन्हें किसी विशेष शैल के नामकरण के लिए आवश्यक माना जाता है। उदाहरण के लिए किसी शैल के ग्रेनाइट नामकरण के लिए उसमें क्वार्ट्ज, आर्थोक्लेज़ और प्लेजियोक्लेज़ उपस्थित होने चाहिए।

किसी शैल को बेसाल्ट का नाम देने के लिए उसमें ऑगाइट और लेब्राडोराइट की उपस्थिति आवश्यक है। ग्रेनाइट में क्वार्ट्ज और आर्थोक्लेज़़ खनिज; बेसाल्ट में आगाइट और लेब्राडोराइट को आवश्यक खनिज माना जाता है।

2. गौण खनिज – भी मैग्मा के प्राथमिक क्रिस्टलीकरण के समय बनते हैं लेकिन इनका उपयोग विशेष शैल के नामकरण में नहीं किया जाता है, जैसे मैग्नेटाइट, एपेटाइट, जिरकॅन आदि। ये कम मात्रा में उपस्थित होते हैं।

कुछ खनिज काफी अल्प मात्रा में मौजूद होते हैं लेकिन इनका उपयोग शैल के नामकरण हेतु किया जा सकता है जैसे कि हॉन र्ब्लैंड या बायोटाइट।

हॉर्नब्लैंड या बायोटाइट को ग्रेनाइट के साथ उपसग र् के रूप में प्रयोग किया जा सकता है और उपस्थित खनिज के आधार पर बायोटाइट ग्रेनाइट या हॉर्नब्लेंड ग्रेनाइट के रूप में नामकरण किया जा सकता है।

द्वितीयक खनिज: यह खनिज प्राथमिक खनिजों में द्वितीयक परिवर्तन द्वारा अपक्षय, परिवर्तन या रूपांतरित होने पर निर्मित होते हैं, जैसे मृत्ति्का खनिज, बायोटाइट, क्लोराइट, जिओलाइट।

प्राथमिक परिवर्तन जल के वाष्प द्वारा या बाद में मैग्मा के शीतलन और क्रिस्टलीकरण के लिए प्राथमिक खनिजों के परिवर्तन को संदर्भित करता है, जबकि द्वितीयक परिवर्तन, अपक्षय और परिवर्तन जैसी द्वितीयक प्रक्रियाओं के कारण होता है।

इस प्रक्रिया में, प्राथमिक खनिज द्वितीयक खनिजों में परिर्वर्तित हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, पाइरॉक्ज़ीन क्लोराइट में परिर्वर्तित हो जाते है, प्लेजियोक्लेज़ का अपक्षय होने पर वह मृत्तिका खनिजों में परिर्वर्तित हो जाता है।

यह वर्गीकरण आग्नेय शैलों के वर्गीकरण के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे पुराने मानदंडों में से एक है, जो अभी भी उपयोग में लाया जाता है।

उपस्थित खनिजों के आधार पर भी आग्नेय शैलों को वर्गीकृत किया जा सकता है। शैल का रंग उसमें मौजूद खनिजों और इसके अलावा कुछ हद तक कणों के आकार पर निर्भर करता है।

ग्रेनाइट: ग्रेनाइट शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन शब्द ग्रेनम से हुई है, जिसका मतलब कण होता है यह वितलीय आग्नेय चट्टान है, यह हल्के रंगों में मिलती है।

बेसाल्ट: बेसाल्ट जवालामुखीय आग्नेय चट्टान है यह वितलीय चट्टान ग्रैबो के तुल्य होती है यह गहरे रंग के खनिजों से बनी होती है, जिसमे मैग्नीशियम एवम लोहा ज्यादा होता है यह लावा के शीघ्र ठंडा होने से बनती है जोकि पृथ्वी की सतह या समुद्री ताल भी हो सकता है यह लावा प्रवाह के रूप में मिलती है बेसाल्ट शब्द क अर्थ  काला लौहयुक्त पाषाण है।

आग्नेय चट्टानों की विशेषताएं (Characteristics Of Igneous Rocks)

इन चट्टानों का निर्माण प्रमुख रूप से ज्वालामुखी क्रिया से होता है अतः इनका वितरण मुख्यतः ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाया जाता है।

आग्नेय चट्टाने भिन्न-भिन्न रूप तथा भिन्न प्रकार के स्फटिकों से बनी होती हैं। चट्टानों के टूटकर घिसने से ही कण गोल बनते हैं।

इन चट्टानों में परतें नहीं होती।

आग्नेय चट्टानें कठोर (Hard) तथा अप्रवेश्य (Non-porous) होती हैं, अतः जल कठिनाई से सन्धियों के सहारे इनमें पहुँच पाता है। परन्तु यान्त्रिक अथवा भौतिक अपक्षय का प्रभाव इन पर पड़ता है।

आग्नेय चट्टानों में किसी प्रकार के जीवाश्म (Fossils) अनुपस्थित होते है क्योंकि इनका निर्माण गर्म और तरल मैग्मा के ठण्डे होने से होता है।

आग्नेय चट्टानों में बहुमूल्य खनिज पाए जाते हैं।

आग्नेय चट्टानों के क्षेत्र (Areas Of Igneous Rocks)

विश्व में प्राचीनतम आग्नेय चट्टानों की आयु लगभग 15 अरब वर्ष आँकी गयी है। इस प्रकार की चट्टानें प्रायद्वीपीय भारत में अधिक पायी जाती हैं।

राजस्थान का अरावली पर्वत, छोटा नागपुर की गुम्वदनुमा पहाड़ियाँ, राजमहल की श्रेणी और रांची का पठार इसी प्रकार की चट्टानों के बने हैं। अजंता की गुफाएं इन्हीं को काटकर बनायीं गयी हैं।

आग्नेय चट्टानों का उपयोग (Use Of Igneous Rocks)

आग्नेय चट्टानों में विभिन्न प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। अधिकांश खनिज व धातु-अयस्क इसी प्रकार की चट्टानों में पाए जाते हैं। लौह अयस्क, सोना, चाँदी, सीसा, जस्ता, ताँबा, मैंगनीज, आदि महत्वपूर्ण घातु खनिज आग्नेय चट्टानों में पाए जाते हैं।

ग्रेनाइट जैसी कठोर चट्टानों का उपयोग भवन निर्माण में व उसके सजाने में किया जाता है जोकि आग्नेय चट्टान है ।

FAQ

आग्नेय चट्टान से आप क्या समझते हैं?

जब मैग्मा ऊपर की ओर गति करते हुए ठंडा होकर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है तो इसे आग्नेय चट्टान कहते हैं। शीतलन और जमने की प्रक्रिया पृथ्वी की ऊपरी परत या पृथ्वी की सतह पर हो सकती है।

आग्नेय चट्टान का उदाहरण क्या है?

ग्रेनाइट, बेसाल्ट, गैब्रो, ऑब्सीडियन, डायोराईट, डोलोराईट, एन्डेसाईट, पेरिड़ोटाईट, फेलसाईट, पिचस्टोन, प्युमाइस इत्यादि आग्नेय चट्टानों के प्रमुख उदाहरण है।

आग्नेय चट्टान का दूसरा नाम क्या है?

इनको प्राथमिक चट्टाने भी कहते हैं क्योंकि अन्य चट्टानों का निर्माण सीधे या परोक्ष रूप से आग्नेय चट्टान से ही होता है।

आग्नेय चट्टानों की क्या विशेषताएं हैं?

इन चट्टानों का निर्माण ज्वालामुखी से निकले गर्म एवं तप्त मैग्मा द्वारा होता है। ये अत्यन्त कठोर होती हैं और इनमें जल प्रवेश नहीं कर सकता।

आग्नेय चट्टानें कितने प्रकार की होती हैं?

आग्नेय चट्टानें दो प्रकार की होती हैं: अंतर्वेधी (प्लूटोनिक) चट्टानें। बहिर्वेधी (ज्वालामुखीय) चट्टानें।

भारत में आग्नेय चट्टानें कहां पाई जाती हैं?

आग्नेय चट्टानें अधिकतर महाराष्ट्र के पठार और सह्याद्रि में पाई जाती हैं। इस चट्टान को निकालकर किलों और अन्य इमारतों के निर्माण में उपयोग किया जाता था।

आप आग्नेय चट्टानों की पहचान कैसे करते हैं?

आग्नेय चट्टानों की पहचान में चट्टानों के प्रमुख खनिजों (खनिज विज्ञान) और उनकी बनावट का निर्धारण शामिल है। खनिज विज्ञान का निर्धारण चट्टान के रंग से सहायता प्राप्त होती है।

हीरा कौन सी चट्टान में पाया जाता है?

किंबर लाइट चट्टान, मुख्यत: किंबर लाइट चट्टान में ही हीरा खनिज पाया जाता है।

आग्नेय चट्टान का सबसे अच्छा उदाहरण कौन सा है?

बेसाल्ट एक गहरे रंग की, महीन दाने वाली आग्नेय चट्टान है।

आग्नेय चट्टानों को जनक चट्टानें क्यों कहते हैं?

पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद सबसे पहले इन्ही चट्टानों का निर्माण हुआ था इसलिए इन्हें प्राथमिक चट्टान या जनक चट्टान भी कहते हैं।

चट्टान की 5 विशेषताएं क्या हैं?

चट्टान की 5 मुख्य विशेषताएँ रंग, धारियाँ, दरार, चमक और कठोरता हैं। इन विशेषताओं का उपयोग किसी चट्टान की पहचान करने में मदद के लिए किया जाता है।

दुनिया की सबसे बड़ी चट्टान कौन सी है?

अमेरिका के कैलिफोर्निया में येशोमित नेशनल पार्क में ग्रेनाइट से बनी दुनिया की सबसे बड़ी चट्‌टान है। डॉन वॉल नाम की इस चट्टान की ऊंचाई है 3000 फीट।

आग्नेय चट्टान के क्या कार्य हैं?

आग्नेय चट्टानों के विविध प्रकार के उपयोग हैं। इसका एक महत्वपूर्ण उपयोग इमारतों और मूर्तियों के लिए पत्थर के रूप में है।

सबसे कठोर चट्टान कौन सी होती है?

आग्नेय (Igneous) चट्टान सबसे मजबूत चट्टान होती है जोकि ज्वालामुखी से निकले लावा के जमने से बनती है ।

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