आधुनिक समय में मीडिया (Media Kya Hai) को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। मीडिया के बिना लोकतांत्रिक संस्थाओं के सशक्तिकरण की कल्पना किया जाना असंभव है।
एक और जहां मीडिया लोगों के दिलों में लोकतांत्रिक समाज व लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के प्रति विश्वास भरती है, वहीं दूसरी ओर लोकतांत्रिक सरकार एवं संस्थाओं को जन सामान्य की आवश्यकता, कठिनाइयों एवं इच्छाओं से अवगत कराती है।
मीडिया समाज के विभिन्न वर्गों, सत्ता के केंद्र, व्यक्तियों तथा संस्थाओं के मध्य सेतु का कार्य करते हैं।
मीडिया एक परिचय (Media Kya Hai)
सामान्य अर्थों में मीडिया एक माध्यम होता है, जिसमें समाचार पत्र, मैगजीन, टीवी, विज्ञापन, मेल, इंटरनेट, सोशल साइट्स को शामिल किया जाता है।
मीडिया के माध्यम से लोगों की मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। मीडिया जनमानस को सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से जागरूक बनाता है।
सामान्यतः यह कहा जा सकता है कि मीडिया समाज का निर्माण और पुनर्निर्माण करता है। वर्तमान में मीडिया की क्षमताएं किसी क्षेत्र ,राज्य या देश तक सीमित नहीं है बल्कि इसने संसार की विभिन्न देशों के मध्य दूरियों को कम कर दिया है।
मीडिया के वजूद के कारण संपूर्ण विश्व में आज एक वैश्विक गांव में परिवर्तित हो गया है।
विज्ञान एवं तकनीकी विकास से जनसंचार के स्वरूप में परिवर्तन होने लगा और समय के साथ-साथ आधुनिक मीडिया का जन्म हुआ जिसमें सर्वप्रथम मुद्रण अर्थात छपाई का आविष्कार हुआ।
प्रारंभ की युग में मुद्रण कला थी। लेकिन आधुनिक युग में पूर्णतया तकनीकों पर आधारित व्यवसाय हो गया है । मुद्रण कला पत्रकारिता के क्षेत्र में विकसित, पल्लवित तथा तकनीकी रूप से परिवर्तित हुई।
जर्मनी की जॉन गुटेनबर्ग ने सन 1454 से 1455 में दुनिया का पहला छापाखाना लगाया तथा 1956 में बाइबल की 300 प्रति को प्रकाशित कर पेरिस भेजा गया।
मुद्रण कला जर्मनी से आरंभ होकर यूरोपीय देशों के माध्यम से संपूर्ण विश्व में फैल गई जिस कारण समाचार पत्र, पत्रिका, किताब तथा लेखा पत्रों के प्रसार की गति बड़ गई।
भारत में छपने वाला पहला साप्ताहिक समाचार पत्र बंगाल गजट ( 1780) कोलकाता से प्रकाशित हुआ जिसकी संपादक जेम्स अगस्त हिक्की थे।
डीसी मेहता के अनुसार – मीडिया का तात्पर्य सूचनाओं, विचारों और मनोरंजन के विस्तृत आदान-प्रदान( विस्तारीकरण) से है जो किसी माध्यम जैसे रेडियो, टीवी, फिल्में और प्रेस के द्वारा होता है।
किसी भी सूचना, विचार या भाव को दूसरों तक पहुँचाना ही मोटे तौर पर संचार या कम्युनिकेशन कहलाता है। एक साथ लाखों-करोड़ों लोगों तक एक सूचना को पहुँचाना ही संचार या जनसंचार या मास कम्युनिकेशन मीडिया कहलाता है।
मानव सभ्यता के विकास में संचार की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वैसे तो सभ्यता के विकास के साथ ही मनुष्य किसी न किसी रूप में संचार करता रहा है। जब आज की तरह टेलीफोन, इंटरनेट आदि की सुविधाएँ नहीं थीं, तब लोग चिट्ठी लिख कर अपना हाल-समाचार लोगों तक पहुँचाते और दूसरों का समाचार जानते थे।
संचार माध्यमों के उद्देश्य
आपने अभी जाना कि विचारों, भावों और सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाना ही संचार माध्यम का मुख्य काम होता है आप यह भी जान चुके हैं कि संचार माध्यमों में समाचार पत्र, रेडियो, दूरदर्शन आदि का महत्त्व बहुत अधिक है जिस कारण इन से जुड़ा प्रेस वर्ग यानी पत्राकार वर्ग आज चौथा खंभा के नाम से जाना जाता है।
पत्रकारिता की दुनिया को चौथी दुनिया की संज्ञा दी गई है। संचार माध्यमों के मोटे तौर पर तीन उद्देश्य माने जा सकते हैं-
सूचना पहुँचाना
मनोरंजन और
शिक्षा
हालांकि यह माना जाता है कि संचार माध्यम का मुख्य उद्देश्य सूचनाएँ पहुँचाना होता है लेकिन जब आप रेडियो सुनते हैं या टेलीविजन देखते हैं तो उसमें कार्यक्रमों का बहुत बड़ा हिस्सा मनोरंजन को ध्यान में रख कर प्रसारित किया जाता है।
संचार माध्यम के प्रकार और उनकी उपयोगिता
आप में से काफ़ी लोग अखबार पढ़ते हैं, रेडियो सुनते और टेलीविज़न देखते हैं। ये सभी संचार माध्यम हैं। लेकिन इनके अलावा भी कई ऐसे माध्यम हैं जिनके द्वारा सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं। इन माध्यमों में इंटरनेट‘ सबसे नया और सशक्त माध्यम सिद्ध हुआ है।
इसके अतिरिक्त विभिन्न कंपनियों, विभागों द्वारा मुहैया कराए जाने वाली प्रचार सामग्री भी संचार का माध्यम साबित हुई है। मगर कुल मिलाकर संचार माध्यमों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-
1. मुद्रित माध्यम
2. श्रव्य माध्यम
3. दृश्य-श्रव्य माध्यम
मीडिया की विभिन्न क्षेत्रों में भूमिका
1. मीडिया राष्ट्र की अंतः करण का रक्षक है तथा जनता के दिन प्रतिदिन के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. सरकार को विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने में सहायता करता है।
3. शहरी और ग्रामीण जन समूह को शिक्षित करने, लोगों के बीच उत्तरदायित्व की भावना जागृत करने और जरूरतमंदों को न्याय प्रदान करने में सहायता करता है।
4. मीडिया देश में मजबूत व्यापार माहौल का सृजन करने के अतिरिक्त सूचना और शिक्षा मुहैया कराने तथा राष्ट्रीय नीति और कार्यक्रम के प्रति लोगों मै जागरूकता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5. राष्ट्रीय अखंडता पर्यावरण रक्षा स्वास्थ्य देखभाल और परिवार कल्याण, निरक्षरता का उन्मूलन तथा महिला, बच्चों और समाज के कमजोर वर्ग से संबंधित मुद्दों की ओर जन समूह का ध्यान आकर्षित करता है।
6. सूचना के प्रवाह मुक्त अभियानों के लिए लोगों को सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में जनता को सक्रिय भागीदार बनाने में सहायता करता है।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में समाचार पत्रों की भूमिका
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के समय समाचार पत्रों, लेखों व पत्रिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन्होंने भारतीय जनमानस को राजनीतिक व सामाजिक रूप से जागरूक करने का कार्य किया तथा उनमें देश भक्ति तथा आत्मविश्वास की भावना का संचार किया।
वर्तमान भूमंडलीकरण के युग में मीडिया सामाजिक प्रबंधन की एक सशक्त संस्था बनकर उभरी है। आधुनिक युग में मीडिया किसी राज्य की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रतिबंध बनकर उभर रहा है।
वह जनता के दृष्टिकोण एवं विचारों को प्रभावित करती है। विभिन्न देशों में हुई सामाजिक एवं राजनीतिक क्रांति में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
भारत में अंग्रेजी सत्ता की समाप्ति, देश की जनता को जागरूक करने, ब्रिटिश साम्राज्य का असली चेहरा जनता के समक्ष लाने तथा स्वतंत्रता संघर्ष में जन भागीदारी सुनिश्चित करने में मीडिया ने अपनी भूमिका का बेहतरीन तरीके से निर्वहन किया था।
मीडिया के प्रकार (Types of Media)
मीडिया में मोटे तौर पर प्रिंट मीडिया जैसे – समाचार पत्र, पत्रिका, जर्नल और अन्य प्रकाशन होते हैं तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे – रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट आदि तथा सामाजिक मीडिया जैसे- फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि।
मीडिया के मुख्य तीन प्रकार माने जाते है-
1. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया
2. प्रिंट मीडिया
3. सामाजिक मीडिया
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media)
पत्रकारिता एवं सूचना संचार के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एक सशक्त माध्यम है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जनसंचार का ऐसा माध्यम है, जिससे हजारों मील दूर की गतिविधियों की जीवंत जानकारी पल भर में मिल जाती है।
इसके उद्देश्य मैं केवल समाचार प्रसारित करना ही नहीं, बल्कि मनोरंजन, विचार विश्लेषण, समीक्षा, साक्षात्कार, घटना विश्लेषण, विज्ञापन और किसी ना किसी सीमा तक समाज को प्रभावित करना भी शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रमुख अवयव टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, इंटरनेट मल्टीमीडिया आदि है।
वरिष्ठ पत्रकार मोहनदास नैमिशराय के अनुसार – विशेष रुप से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तात्पर्य ऐसी विधा से हैं जिसके माध्यम से नई तकनीक के द्वारा व्यक्ति देश विदेश की खबरों के अलावा अन्य जानकारी भी प्राप्त करता हो।
भारत में दिल्ली एशियाड का प्रसारण करने के लिए रंगीन टीवी की शुरुआत वर्ष 1982 में की गई। जिसके कारण टीवी के प्रचार की खेती बड़ी। आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया शहर या गांव, हर जगह घर-घर तक पहुंच गया है।
इसमें भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने में महती भूमिका का निर्वहन किया है। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कारण कई सामाजिक व राजनीतिक समस्याएं भी उत्पन्न हुई है।
प्रिंट मीडिया (Print Media)
प्रिंट मीडिया देश-विदेश में चल रहे घटनाक्रम को जनमानस तक पहुंचाने और जनमत से सरकार को अवगत कराने का माध्यम है।
समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं जनता के ना केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि उनके व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायक होते हैं। इसका राष्ट्र व समाज निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।
प्रिंट मीडिया भारत में एक बहुत विस्तृत क्षेत्र है। भारत में 31 मार्च 2015 तक 105453 समाचार पत्र व मैगजीन रजिस्टर्ड है।
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भारतीयों को जागरूक बनाने तथा आत्मविश्वास के साथ आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए प्रेरित करने में समाचार पत्र-पत्रिकाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भारत में 4 समाचार एजेंसियां हैं – प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई), यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यू एन आई), समाचार भारती और हिंदुस्तान समाचार तथा प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो (पीआईबी) प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो भारत सरकार की केंद्रीय एजेंसी है। इसके 40 क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
पीआईबी समस्त जानकारी, सूचनाओं, कार्यवाहीयों व अन्य कार्यक्रमों को पत्र पत्रिकाओं को उपलब्ध कराती है तथा पत्रकारों फोटोग्राफरों एवं टेक्नीशियन को मान्यता भी देता है।
प्रिंट मीडिया का भारतीय लोकतंत्र के सशक्तिकरण में तथा समाज के निचले स्तर तक सूचनाओं की पहुंच बढ़ाने में सराहनीय योगदान रहा है।
सामाजिक मीडिया ( सोशल मीडिया)
सोशल या सामाजिक मीडिया अन्य पारंपरिक तथा सामाजिक तरीकों से कई प्रकार से भिन्नता रखता है। इसमें पहुंच, आवृत्ति, प्रयोजन, ताजगी और स्थायित्व आदि तत्व शामिल है।
सामाजिक मीडिया के कई रूप है जिनमें इंटरनेट फोरम, वेब्लॉग, सामाजिक ब्लॉग, माइक्रो ब्लॉगिंग, विकी, सोशल नेटवर्क आदि शामिल है। फेसबुक सर्वे के अनुसार इंटरनेट प्रयोक्ता अन्य साइट की अपेक्षा सोशल मीडिया साइट्स पर ज्यादा समय व्यतीत करते हैं।
सोशल नेटवर्किंग साइट सूचना एवं संचार का एक सबसे सशक्त आधुनिक जरिया है, जिसके माध्यम से लोग अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के रख पाते हैं, मोबाइल एवं इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है तथा प्रतिदिन सोशल मीडिया पर हजारों लोग जुड़ रहे हैं।
सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है जिस पर लोग अपने विचारों को निर्बाध रूप से रख सकते हैं। वर्तमान में पूरे विश्व में सोशल मीडिया का ऐसा जाल फैल गया है की कोई भी खबर पल भर में लोगों तक पहुंच जाती है।
मीडिया की समस्याएं और चुनौतियां
मीडिया की समस्याएं और चुनौतियों में मीडिया ने सरकार की नीतियों और निर्णयों को लोगों तक आसानी से पहुँचाया है और लोगों का विश्वास जीतने में सफलता पायी है। लेकिन बदलते समय में मीडिया (Press) के सामने कई समस्याएं और चुनौतियाँ भी देखने को मिल रही है।
मीडिया की समस्याएं और चुनौतियां निम्न हैं –
भारत में प्रेस को लाने का प्रमुख मकसद था कि लोगों तक सही सूचना पहुंचाकर उनके सामाजिक जीवन स्तर को ऊपर लाना और समाज में एकता लाना। लेकिन वर्तमान समय में मीडिया सामाजिक दायित्व को छोड़कर एक उत्पाद बेचने वाला बन गया है।
• समाचार पत्र (अकबार) के अन्दर कोई न्यूज अगर छपती है तो उसका स्रोत बताया जाता है उसको फिल्टर किया जाता है, इससे लोगों को सही और सटीक जानकारी उपलब्ध होती है लेकिन वर्तमान में डिजीटल सोशल मीडिया के दौर में न ही किसी स्रोत का पता होता है कि न्यूज कहाँ से आई है और न ही उसको फिल्टर किया जाता है। बस उसको शेयर कर दिया जाता है और लोग उसी न्यूज को सच मान लेते हैं।
• वर्तमान समय में मीडिया पर लोगों का काफी विश्वास है, अगर मीडिया में कोई न्यूज चलती है तो लोग उस पर 99% भरोसा करते है। परन्तु कुछ परिदृश्य की वजह से मीडिया की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह भी उठने लगे हैं।
• आप और हम अक्सर देखते हैं कि मीडिया के संपादक या मीडिया के संचालक कुछ रुपयों की वजह से उस सूचना का या न्यूज को अपने समाचार पत्र पर छापते है या इंटरनेट या टीवी चैनल के जरिए प्रसार करते हैं। जिससे उद्योगपतियों का फायदा हो।
• आज मीडिया में काम करने वाले मीडियाकर्मीयों का पहला लक्ष्य पैसा कमाना बन गया है। मीडिया मुनाफे के बाजार के रूप में तब्दील हो गया है। लेकिन कुछ मीडियाकर्मी बहुत ईमानदार भी होते है।
• वर्तमान में पत्रकारों की नैतिकता और उनके आचरण पर भी सवाल उठाये जाने लगे हैं।
• ज्यादातर यही देखने में आता है कि कोई भी कम एजुकेटेड व्यक्ति मीडियाकर्मी का काम करने लग जाता है जिसको ना तो संविधान का ज्ञान होता है और ना ही कानून का।
• देश में बहुत सारी समस्याएँ हैं, लेकिन मीडिया को शायद उनसे कोई सरोकार नहीं है। चाहे हम किसानों की आत्महत्या की बात करें या फिर महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों या अपराधों की, मीडिया में ऐसे मामलों को जगह देने में या तो कंजूसी दिखाई जाती है या फिर जरूरी संवेदनशीलता नहीं बरती जाती।
• शहरों में भी मध्यवर्ग की समस्याएँ ही उसे अधिक परेशान करती हैं। मसलन, बारिश से यदि घंटे-दो-घंटे भी यातायात जाम हो जाए तो टीवी चैनलों पर चीख-पुकार शुरू हो जाती है, मगर जिन इलाकों के लोग बरसों से पानी के लिए तरसते रहते हैं उनकी सुध तक नहीं ली जाती।
• 21वी सदी के डिजीटल समय में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दोनों माध्यमों के सामने अपनी विश्वसनीयता बचाने की बहुत बड़ी चुनौती है। इंटरनेट के जमाने में इनकी लोकप्रियता में कमी आई है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका और उन पर निर्भरता लगातार कम होती जा रही है।
• वर्तमान में समाज में 80% प्रतिशत से ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगे हैं और इसका दायरा धीरे-धीरे ओर बढ़ता जा रहा है।
निष्कर्ष
पिछले वर्ष भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान ग्वालियर के अध्ययन में बताया गया कि भारत आने वाले 89 फीसदी पर्यटक सोशल मीडिया के ज़रिये ही भारत के बारे में जानकारियाँ प्राप्त करते हैं।
यहाँ तक कि इनमें से 18 फीसदी लोग तो भारत आने की योजना ही तब बनाते हैं जब सोशल मीडिया से प्राप्त सामग्री इनके मन में भारत की अच्छी तस्वीर पेश करती है।
सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को नया आयाम दिया है, आज प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी डर के सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार रख सकता है और उसे हज़ारों लोगों तक पहुँचा सकता है, परंतु सोशल मीडिया के दुरुपयोग ने इसे एक खतरनाक उपकरण के रूप में भी स्थापित कर दिया है तथा इसके विनियमन की आवश्यकता लगातार महसूस की जा रही है।
अतः आवश्यक है कि निजता के अधिकार का उल्लंघन किये बिना सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिये सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर नए विकल्पों की खोज की जाए, ताकि भविष्य में इसके संभावित दुष्प्रभावों से बचा जा सके।
प्रश्न- सोशल मीडिया से आप क्या समझते हैं? सोशल मीडिया के प्रभावों का उल्लेख करते हुए इसके विनियमन की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।
महत्वपूर्ण तथ्य
1. मीडिया के माध्यम से लोगों के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है तथा मीडिया जनमानस को सामाजिक राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से जागरूक बनाती है।
2. मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है।
3. जर्मनी के जान गुटेनबर्ग ने सन 1454-55 मैं दुनिया की पहली प्रिंटिंग प्रेस लगाई तथा 1456 में बाइबल की 300 प्रतियों को प्रकाशित कर पेरिस भेजा।
4. भारत में छपने वाला पहला साप्ताहिक समाचार पत्र बंगाल गजट 1780 में कोलकाता से प्रकाशित हुआ, जिसकी संपादक जेम्स अगस्त हिक्की थे।
5. भारत में दिल्ली एशियाड का प्रसारण करने के लिए रंगीन टीवी की शुरुआत वर्ष 1982 में हुई, जिसके कारण टीवी के प्रसार को गति मिली।
6. प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो भारत सरकार की केंद्रीय एजेंसी है।
7. फेसबुक विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय सोशल साइट्स है।
FAQ
मीडिया क्या है और इसका कार्य क्या है?
सूचना भेजना मीडिया का प्रमुख कार्य है।
मीडिया से हमें क्या लाभ है?
मीडिया अगर सकारात्मक रूप से कार्य करें तो किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। वर्तमान समय में मीडिया की भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है।
शिक्षा में मीडिया की क्या भूमिका है?
प्रिन्ट मीडिया ने शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि इसने शिक्षार्थियों को समग्र रूप से शिक्षिक करने के लिए विभिन्न प्रकार की पत्र पत्रिकाएं और विश्व स्तरीय किताबे उपलब्ध करायी है
मीडिया का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
इसका स्मरण शक्ति, चिंतन शक्ति और आत्म विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सामाजिक संबंधों में दरार, रिश्तो में धोखाधड़ी, मनमुटाव और दूरियां बढ़ाता है। सोशल मीडिया ने अश्लीलता और अमर्यादित अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित किया है।
मीडिया शब्द कहां से आया है?
लैटिन
न्यू मीडिया बेहतर क्यों है?
नया मीडिया पारंपरिक मीडिया की तुलना में कहीं अधिक संवादात्मक होता है। सोशल मीडिया जैसे मीडिया के नए रूप व्यवसाय और उपभोक्ता के बीच सीधे संचार और बातचीत की अनुमति देते हैं ।
मीडिया की शुरुआत कब हुई?
समकालीन मीडिया युग की उत्पत्ति 1837 में सैमुअल मोर्स द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में पेटेंट कराए गए विद्युत टेलीग्राफ से की जा सकती है।
भारत की मीडिया का विश्व में कौन सा स्थान है?
इस दिवस के उपलक्ष्य में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 प्रकाशित किया गया। 180 देशों के इस सूचकांक में 36.62 अंक के साथ भारत 161वें स्थान पर है, वर्ष 2022 में भारत का रैंक 150 था।
भारत में मीडिया की शुरुआत कब हुई?
भारत में प्रिंट मीडिया की शुरुआत 1780 में हुई थी।
मीडिया का आविष्कार किसने किया था?
जोहान्स गुटेनबर्ग ने
राष्ट्रीय मीडिया दिवस कब मनाया जाता है?
प्रतिवर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता एंव जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है।
भारत का पहला समाचार पत्र कौन सा है?
29 जनवरी 1780 को 29 जनवरी 1780 को भारत और एशिया के पहले मुद्रित समाचार पत्र ‘ हिक्कीज़ बंगाल गजट ‘ का प्रकाशन शुरू हुआ।
अखबार के संस्थापक कौन थे?
‘संस्थापक जेम्स अगस्टस हिकी को माना जाता है