मीडिया क्या है मीडिया के प्रकार | Media Kya Hai

आधुनिक समय में मीडिया (Media Kya Hai) को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। मीडिया के बिना लोकतांत्रिक संस्थाओं के सशक्तिकरण की कल्पना करना असंभव है। मीडिया समाज के विभिन्न वर्गों, सत्ता के केन्द्रों, व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच एक सेतु का काम करता है।

एक ओर मीडिया लोगों के दिलों में लोकतांत्रिक समाज और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के प्रति आस्था भरता है, वहीं दूसरी ओर यह लोकतांत्रिक सरकार और संस्थाओं को आम लोगों की जरूरतों, कठिनाइयों और इच्छाओं से अवगत कराता है।

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मीडिया एक परिचय (Media Kya Hai)

सामान्य अर्थ में मीडिया एक माध्यम है, जिसमें समाचार पत्र, पत्रिकाएं, टीवी, विज्ञापन, मेल, इंटरनेट, सोशल साइट्स शामिल हैं।

मीडिया के माध्यम से लोगों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। मीडिया जनता को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से जागरूक बनाता है।

सामान्यतः यह कहा जा सकता है कि मीडिया समाज का निर्माण एवं पुनर्निर्माण करता है। वर्तमान समय में मीडिया की क्षमताएं किसी क्षेत्र, राज्य या देश तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इसने दुनिया के विभिन्न देशों के बीच की दूरियां कम कर दी हैं।

मीडिया के अस्तित्व के कारण ही आज पूरा विश्व एक वैश्विक गाँव में बदल गया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ जनसंचार का स्वरूप बदलने लगा और समय के साथ आधुनिक मीडिया का जन्म हुआ जिसमें सबसे पहले मुद्रण का आविष्कार हुआ।

प्रारंभिक युग में मुद्रण कला थी। लेकिन आधुनिक युग में बिजनेस पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर आधारित हो गया है। मुद्रण कला पत्रकारिता के क्षेत्र में ही विकसित, विकसित और तकनीकी रूप से परिवर्तित हुई।

जर्मनी के जॉन गुटेनबर्ग ने 1454 से 1455 में दुनिया का पहला प्रिंटिंग प्रेस स्थापित किया और 1956 में बाइबिल की 300 प्रतियां प्रकाशित की गईं और पेरिस भेजी गईं।

मुद्रण कला जर्मनी से शुरू हुई और यूरोपीय देशों से होते हुए पूरे विश्व में फैल गई, जिससे समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, पुस्तकों और लेखा पत्रों के प्रसार की गति बढ़ गई।

भारत में प्रकाशित होने वाला पहला साप्ताहिक समाचार पत्र बंगाल गजट (1780) कोलकाता से प्रकाशित हुआ था, जिसके संपादक जेम्स ऑगस्ट हिक्की थे।

डी.सी.मेहता के अनुसार – मीडिया का अर्थ है सूचना, विचारों और मनोरंजन का व्यापक आदान-प्रदान जो रेडियो, टीवी, फिल्म और प्रेस जैसे किसी भी माध्यम से होता है।

किसी सूचना, विचार या भावना को दूसरों तक संप्रेषित करना मोटे तौर पर संचार कहलाता है। एक साथ लाखों लोगों तक सूचना प्रसारित करना संचार या जनसंचार माध्यम कहलाता है।

संचार ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दरअसल, सभ्यता के विकास के साथ मनुष्य किसी न किसी रूप में संचार करता रहा है। जब आज की तरह टेलीफोन, इंटरनेट आदि सुविधाएं नहीं थीं, तब लोग पत्र लिखकर अपनी बातें और ख़बरें दूसरों तक पहुंचाते थे।

संचार माध्यमों के उद्देश्य

अभी आपने जाना कि संचार माध्यमों का मुख्य कार्य विचारों, भावनाओं तथा सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना है। आपने यह भी जाना कि संचार माध्यमों में समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन आदि का महत्व बहुत अधिक है, जिसके कारण इनसे जुड़ा प्रेस वर्ग आज चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है।

पत्रकारिता जगत को चौथी दुनिया कहा गया है। मोटे तौर पर संचार माध्यमों के तीन उद्देश्य माने जा सकते हैं-

जानकारी देना

मनोरंजन और

शिक्षा

हालाँकि ऐसा माना जाता है कि संचार माध्यमों का मुख्य उद्देश्य सूचना पहुंचाना है, लेकिन जब आप रेडियो सुनते हैं या टेलीविजन देखते हैं, तो कार्यक्रमों का एक बड़ा हिस्सा मनोरंजन को ध्यान में रखकर प्रसारित किया जाता है।

संचार माध्यमों के प्रकार एवं उनकी उपयोगिता

आप में से कई लोग अखबार पढ़ते हैं, रेडियो सुनते हैं और टेलीविजन देखते हैं। ये सभी संचार माध्यम हैं. लेकिन इनके अलावा और भी कई माध्यम हैं जिनसे जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इन माध्यमों में इंटरनेट सबसे नया और सशक्त माध्यम साबित हुआ है।

इसके अलावा, विभिन्न कंपनियों और विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रचार सामग्री भी संचार का एक माध्यम साबित हुई है। लेकिन समग्र रूप से संचार माध्यमों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

1. मुद्रित मीडिया

2. ऑडियो मीडिया

3. श्रव्य-दृश्य मीडिया

विभिन्न क्षेत्रों में मीडिया की भूमिका

1. मीडिया राष्ट्र की चेतना का रक्षक है और लोगों के दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

2. सरकार को विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।

3. शहरी और ग्रामीण जनता को शिक्षित करने, लोगों में जिम्मेदारी की भावना जगाने और जरूरतमंदों को न्याय दिलाने में मदद करता है।

4. देश में एक मजबूत कारोबारी माहौल बनाने के अलावा, मीडिया सूचना और शिक्षा प्रदान करने और राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

5. राष्ट्रीय अखंडता, पर्यावरण, सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और परिवार कल्याण, निरक्षरता उन्मूलन और महिलाओं, बच्चों और समाज के कमजोर वर्गों से संबंधित मुद्दों की ओर जनता का ध्यान आकर्षित करता है।

6. सूचना का मुक्त प्रवाह अभियानों के लिए लोगों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और लोगों को सक्रिय भागीदार बनाने में मदद करता है

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में समाचार पत्रों की भूमिका

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान समाचार-पत्रों, लेखों एवं पत्रिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने भारतीय लोगों को राजनीतिक और सामाजिक रूप से जागरूक करने का काम किया और उनमें देशभक्ति और आत्मविश्वास की भावना पैदा की।

वैश्वीकरण के वर्तमान युग में मीडिया सामाजिक प्रबंधन की एक सशक्त संस्था बनकर उभरी है। आधुनिक युग में मीडिया किसी राज्य की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर प्रतिबंधक के रूप में उभर रहा है।

यह जनता के दृष्टिकोण और विचारों को प्रभावित करता है। विभिन्न देशों में हुई सामाजिक और राजनीतिक क्रांतियों में मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने, देश की जनता को जागरूक करने, ब्रिटिश साम्राज्य का असली चेहरा जनता के सामने लाने और स्वतंत्रता संग्राम में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने में मीडिया ने अपनी भूमिका बेहतरीन ढंग से निभाई थी।

मीडिया के प्रकार

मीडिया में मोटे तौर पर प्रिंट मीडिया जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाएं, जर्नल और अन्य प्रकाशन और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट आदि और सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि शामिल हैं।

मीडिया के तीन मुख्य प्रकार माने जाते हैं-

1. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

2. प्रिंट मीडिया

3. सोशल मीडिया

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

पत्रकारिता एवं सूचना संचार के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एक सशक्त माध्यम है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जनसंचार का एक ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से हजारों मील दूर की गतिविधियों की लाइव जानकारी पल भर में मिल जाती है।

इसका उद्देश्य केवल समाचार प्रसारित करना ही नहीं बल्कि मनोरंजन, राय विश्लेषण, समीक्षा, साक्षात्कार, घटना विश्लेषण, विज्ञापन और कुछ हद तक समाज को प्रभावित करना भी शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुख्य घटक टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, इंटरनेट मल्टीमीडिया आदि हैं।

वरिष्ठ पत्रकार मोहनदास नैमिशराय के अनुसार- इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तात्पर्य विशेष रूप से एक ऐसी विधा से है जिसके माध्यम से व्यक्ति को नई तकनीक के माध्यम से देश-विदेश की खबरों के अलावा अन्य जानकारी भी मिलती है।

भारत में रंगीन टीवी की शुरुआत वर्ष 1982 में दिल्ली एशियाई खेलों के प्रसारण के लिए की गई थी। जिससे टीवी पब्लिसिटी की खेती बढ़ी. आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हर घर तक पहुंच गया है, चाहे वह शहर हो या गांव।

इसने भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कारण कई सामाजिक और राजनीतिक समस्याएँ भी उत्पन्न हुई हैं।

मुद्रण माध्यम

प्रिंट मीडिया देश-विदेश में होने वाली घटनाओं को जनता तक पहुंचाने और सरकार को जनता की राय से अवगत कराने का एक माध्यम है।

समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएँ न केवल जनता के मनोरंजन का साधन हैं बल्कि उनके व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायक हैं। राष्ट्र एवं समाज निर्माण में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है।

भारत में प्रिंट मीडिया एक बहुत व्यापक क्षेत्र है। 31 मार्च 2015 तक, भारत में 105453 समाचार पत्र और पत्रिकाएँ पंजीकृत हैं।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने भारतीयों को जागरूक करने और उन्हें आत्मविश्वास के साथ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

भारत में 4 समाचार एजेंसियां हैं – प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई), यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई), समाचार भारती और हिंदुस्तान समाचार और प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी)। प्रेस सूचना ब्यूरो भारत सरकार की केंद्रीय एजेंसी है। इसके 40 क्षेत्रीय कार्यालय हैं।

पीआईबी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को सभी सूचनाएं, कार्यवाही और अन्य कार्यक्रम प्रदान करता है और पत्रकारों, फोटोग्राफरों और तकनीशियनों को मान्यता भी देता है।

भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने और समाज के निचले स्तर तक सूचना की पहुंच बढ़ाने में प्रिंट मीडिया ने सराहनीय योगदान दिया है।

सोशल मीडिया

सोशल मीडिया अन्य पारंपरिक और सोशल मीडिया से कई मायनों में अलग है। इसमें पहुंच, आवृत्ति, उद्देश्य, ताजगी और स्थायित्व आदि जैसे तत्व शामिल हैं।

सोशल मीडिया के कई रूप हैं जिनमें इंटरनेट फोरम, वेबलॉग, सोशल ब्लॉग, माइक्रो ब्लॉगिंग, विकी, सोशल नेटवर्क आदि शामिल हैं। फेसबुक सर्वेक्षण के अनुसार, इंटरनेट उपयोगकर्ता अन्य साइटों की तुलना में सोशल मीडिया साइटों पर अधिक समय बिताते हैं।

सोशल नेटवर्किंग साइट सूचना एवं संचार का सबसे सशक्त आधुनिक साधन है, जिसके माध्यम से लोग बिना किसी रोक-टोक के अपने विचार व्यक्त कर पाते हैं। मोबाइल और इंटरनेट यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है और हर दिन हजारों लोग सोशल मीडिया से जुड़ रहे हैं। हैं।

सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है जिस पर लोग खुलकर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। वर्तमान समय में सोशल मीडिया का ऐसा जाल पूरी दुनिया में फैल चुका है कि कोई भी खबर पल भर में लोगों तक पहुंच जाती है।

मीडिया की समस्याएँ एवं चुनौतियाँ

मीडिया की समस्याओं और चुनौतियों के बीच मीडिया ने सरकार की नीतियों और निर्णयों को आसानी से लोगों तक पहुंचाया है और लोगों का विश्वास जीतने में सफल रही है। लेकिन बदलते समय में मीडिया के सामने कई समस्याएं और चुनौतियाँ सामने आ रही हैं।

मीडिया की समस्याएँ एवं चुनौतियाँ इस प्रकार हैं –

प्रेस को भारत में लाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को सही जानकारी प्रदान करके उनके सामाजिक जीवन स्तर को ऊपर उठाना और समाज में एकता लाना था। लेकिन वर्तमान समय में मीडिया सामाजिक उत्तरदायित्व को छोड़कर उत्पाद विक्रेता बन गया है।

• अगर अखबार (अकबर) में कोई खबर छपती है तो उसका सोर्स बताया जाता है और उसे फिल्टर किया जाता है, इससे लोगों को सही और सटीक जानकारी मिलती है, लेकिन आज के डिजिटल सोशल मीडिया के जमाने में न तो सोर्स का पता चल पाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि खबर कहां से आई है और न ही उसे फिल्टर किया जाता है. इसे बस शेयर कर दिया जाता है और लोग उस खबर को सच मान लेते हैं.

• वर्तमान समय में लोगों को मीडिया पर बहुत भरोसा है, अगर मीडिया में कोई भी खबर छपती है तो लोग उस पर 99% भरोसा करते हैं। लेकिन कुछ परिदृश्यों के कारण मीडिया की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।

• आप और हम अक्सर देखते हैं कि मीडिया संपादक या मीडिया संचालक चंद रुपयों के लिए उस सूचना या समाचार को अपने अखबारों में प्रकाशित करते हैं या इंटरनेट या टीवी चैनलों के माध्यम से फैलाते हैं। ताकि उद्योगपतियों को फायदा हो.

• आज मीडिया में काम करने वाले मीडियाकर्मियों का पहला लक्ष्य पैसा कमाना हो गया है। मीडिया एक लाभदायक बाज़ार में तब्दील हो गया है। लेकिन कुछ मीडियाकर्मी बेहद ईमानदार भी हैं.

• वर्तमान समय में पत्रकारों की नैतिकता और आचरण पर सवाल उठ रहे हैं।

• अधिकतर देखा जाता है कि कोई भी कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति मीडियाकर्मी के तौर पर काम करने लगता है, जिसे न तो संविधान का ज्ञान होता है और न ही कानून का।

• देश में कई समस्याएं हैं, लेकिन मीडिया को शायद उनसे कोई सरोकार नहीं है। चाहे हम किसानों की आत्महत्या की बात करें या महिलाओं पर अत्याचार या अपराध की, मीडिया ऐसे मामलों को जगह देने में या तो कंजूसी दिखाता है या फिर जरूरी संवेदनशीलता नहीं बरती जाती।

• शहरों में भी मध्यम वर्ग की समस्याएँ उन्हें अधिक परेशान करती हैं। उदाहरण के तौर पर अगर बारिश के कारण एक-दो घंटे के लिए भी ट्रैफिक जाम हो जाए तो लोग टीवी चैनलों पर चिल्लाने लगते हैं, लेकिन जिन इलाकों के लोग सालों से पानी के लिए तरस रहे हैं, उनकी सुध तक नहीं ली जाती.

• 21वीं सदी के डिजिटल युग में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों को अपनी विश्वसनीयता बचाने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इंटरनेट युग में उनकी लोकप्रियता कम हो गई है. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका और उन पर निर्भरता लगातार कम होती जा रही है।

• वर्तमान समय में समाज में 80% से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग करने लगे हैं और इसका दायरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।

निष्कर्ष

पिछले साल भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर के एक अध्ययन में यह बात सामने आई थी कि भारत आने वाले 89 फीसदी पर्यटक सोशल मीडिया के जरिए भारत के बारे में जानकारी हासिल करते हैं.

दरअसल, इनमें से 18 फीसदी लोग तभी भारत आने की योजना बनाते हैं, जब सोशल मीडिया से मिलने वाला कंटेंट उनके दिमाग में भारत की अच्छी तस्वीर पेश करता है।

सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को एक नया आयाम दिया है, आज हर व्यक्ति बिना किसी डर के सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार व्यक्त कर सकता है और हजारों लोगों तक इसे पहुंचा सकता है, लेकिन सोशल मीडिया के दुरुपयोग ने इसे एक खतरनाक उपकरण बना दिया है। इसकी स्थापना भी हो चुकी है और इसके नियमन की आवश्यकता लगातार महसूस की जा रही है।

इसलिए निजता के अधिकार का उल्लंघन किए बिना सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी पक्षों से विचार-विमर्श कर नए विकल्प ढूंढना जरूरी है, ताकि भविष्य में इसके संभावित दुष्प्रभावों से बचा जा सके।

प्रश्न- सोशल मीडिया से आप क्या समझते हैं? सोशल मीडिया के प्रभावों का उल्लेख करें तथा इसके नियमन की आवश्यकता पर चर्चा करें।

महत्वपूर्ण तथ्य

1. मीडिया के माध्यम से लोगों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है और मीडिया लोगों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से जागरूक बनाता है।

2. मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है।

3. जर्मनी के जॉन गुटेनबर्ग ने 1454-55 में दुनिया की पहली प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की और 1456 में बाइबिल की 300 प्रतियां प्रकाशित कीं और पेरिस भेजीं।

4. भारत में प्रकाशित पहला साप्ताहिक समाचार पत्र बंगाल गजट 1780 में कोलकाता से प्रकाशित हुआ था, जिसके संपादक जेम्स ऑगस्ट हिक्की थे।

5. भारत में वर्ष 1982 में दिल्ली एशियाई खेलों के प्रसारण के लिए रंगीन टीवी की शुरुआत की गई, जिससे टीवी के प्रसार में तेजी आई।

6. प्रेस सूचना ब्यूरो भारत सरकार की एक केंद्रीय एजेंसी है।

7. फेसबुक दुनिया की सबसे लोकप्रिय सोशल साइट है।

FAQ

मीडिया क्या है और इसका कार्य क्या है?

सूचना भेजना मीडिया का मुख्य कार्य है।

मीडिया से हमें क्या लाभ है?

यदि मीडिया सकारात्मक रूप से काम करे तो किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। वर्तमान समय में मीडिया की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है।

शिक्षा में मीडिया की क्या भूमिका है?

प्रिंट मीडिया ने शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि इसने शिक्षार्थियों को समग्र रूप से शिक्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार की पत्रिकाएँ और विश्व स्तरीय किताबें प्रदान की हैं।

मीडिया का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

इससे याददाश्त, सोचने की शक्ति और आत्मविश्वास पर बुरा असर पड़ता है। इससे सामाजिक रिश्तों में दरार, रिश्तों में धोखाधड़ी, कलह और दूरियां बढ़ती हैं। सोशल मीडिया ने अश्लीलता और अशोभनीय अभिव्यक्ति को बढ़ावा दिया है।

मीडिया शब्द कहाँ से आया है?

लैटिन

न्यू मीडिया बेहतर क्यों है?

न्यू मीडिया पारंपरिक मीडिया की तुलना में कहीं अधिक इंटरैक्टिव है। मीडिया के नए रूप जैसे सोशल मीडिया व्यवसाय और उपभोक्ता के बीच सीधे संचार और संपर्क की अनुमति देते हैं।

मीडिया की शुरुआत कब हुई?

समकालीन मीडिया युग की उत्पत्ति का पता विद्युत टेलीग्राफ से लगाया जा सकता है, जिसका पेटेंट 1837 में सैमुअल मोर्स द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया था।

विश्व में भारतीय मीडिया का क्या स्थान है?

इस दिन को मनाने के लिए, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 प्रकाशित किया गया था। 180 देशों के इस सूचकांक में भारत 36.62 अंकों के साथ 161वें स्थान पर है, साल 2022 में भारत की रैंक 150 थी.

भारत में मीडिया की शुरुआत कब हुई?

भारत में प्रिंट मीडिया की शुरुआत 1780 में हुई।

मीडिया का आविष्कार किसने किया?

जोहान्स गुटेनबर्ग के प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार ने मीडिया के बड़े पैमाने पर उत्पादन को सक्षम किया, जिसे 1800 के दशक की शुरुआत में फ्रेडरिक कोएनिग द्वारा औद्योगीकृत किया गया था। इन नवाचारों ने दैनिक समाचार पत्र को जन्म दिया, जिसने 19वीं शताब्दी की शहरीकृत, औद्योगिक आबादी को एकजुट किया।

राष्ट्रीय मीडिया दिवस कब मनाया जाता है?

हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस हमारा ध्यान प्रेस की स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों की ओर आकर्षित करता है।

भारत का पहला समाचार पत्र कौन सा है?

हिक्कीज़ बंगाल गजट, भारत और एशिया का पहला मुद्रित समाचार पत्र, 29 जनवरी 1780 को प्रकाशित होना शुरू हुआ।

समाचार पत्र के संस्थापक कौन थे?

‘संस्थापक जेम्स ऑगस्टस हिक्की को माना जाता है

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