चट्टान किसे कहते हैं | What is Rocks In Hindi

पृथ्वी के क्रस्ट में मिलने वाले सभी प्रकार के मुलायम व कठोर पदार्थ जो विभिन्न प्रकार के खनिज तत्वों से बने होते हैं चट्टान (What is Rocks In Hindi) कहलाते हैं।

Table of Contents

शैल विज्ञान

शैल विज्ञान भूविज्ञान की वह शाखा है, जिसके तहत शैलों की उत्पत्ति, गठन, संरचना, शैलों के मिलने की अवस्था एवं उनकी वर्गीकरण आदि का अध्ययन किया जाता है।

शैलों की उत्पत्ति (Origin Of Rocks)

शैलों की उत्पत्ति के बारे में जानने के लिए उत्सुक होंगे? शैल की उत्पत्ति की खोज एक शताब्दी लंबी प्रक्रिया थी। अब्राहम गोटलॉब वर्नर (1749-1817) के नेतृत्व में नेप्चुनिस्टों का मानना था कि सभी शैल समुद्र से रासायनिक वर्षा की प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न हुई हैं।

वल्केनिस्ट या प्लूटोनिस्ट धारणा के जेम्स हटन (1726-1797) इस मान्यता के थे कि आरंभ में बनने वाली अधिकांश शैल आग्नेय मूल की थीं। हटन ने नेप्चुनिस्टों के दावों का खंडन करने के लिए सावधानीपूर्वक अवलोकन किया और आग्नेय शैलों की उपस्थिति का प्रदर्शन किया तथा पृथ्वी की आंतरिक ऊष्मा के प्रमाणों को भी प्रद किया।

जेम्स हटन, जो एक स्कॉटिश किसान और डॉक्टर थे, ने कई अन्य लागेों के साथ शैलों के वर्गीकरण की अनुवांशिक योजना के विचार को बढ़ावा दिया। आधुनिक भूवैज्ञानिक हटन को “भूविज्ञान का पिता“ मानते हैं।

चट्टान की परिभाषा (Definition Of Rocks in Hindi)

सेल प्राकृतिक रूप से ठोस खनिज समुच्चय से बनी होती है जो कि वह भूपर्पटी का निर्माण करती है

चट्टानों के प्रकार (Types Of Rocks In Hindi )

चट्टानों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है

आग्नेय सेल

अवसादी सेल

कायंतरित सेल

आग्नेय शैल (Igneous Rock)

खनिज स्रोत: शैलों का भूपर्पटी या प्रावार के ऊपरी भाग में पिघलना

शैल निर्माण प्रक्रिया: शीतलन, क्रिस्टलीकरण और मैग्मा का संपीङन

संघटन एवं गठन: क्रिस्टल और/या कांच से निर्मित, मुख्यतः अंतग्रन्थित गठन, ज्वालामुखीय शेलों की स्थिति में परतें भी संभावित

वर्गीकरण: वर्गीकरण के लिए गठन, खनिज और रासायनिक संरचना का उपयोग

उदाहरण: ग्रेनाइट, बेसाल्ट, डोलराइट, गैब्रो, डायोराइट

आग्नेय शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के अग्नि शब्द से हुई है एवं आग्नेय शैल उन्हें कहते हैं जो मूल रूप से तरल पदार्थ के ठंडा एवं ठोस होने से बनती है पृथ्वी की सतह के नीचे बनी इस गर्म एवं तरल द्रव्यमान को मैग्मा कहते हैं

मैग्मा मुख्य रूप से, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, अल्युमिनियम, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटैशियम, टाइटेनियम आदि से बना होता है

इसमें पानी की भाप एवं विभिन्न गैसें भी होती है यही मैग्मा जब ज्वालामुखी द्वारा भूमि की सतह पर आ जाता है तो हम इसको लावा कहते हैं

भूपर्पटी के अंदर मैग्मा के ठोस होने से बनी शैलों को अंतरबेधि शैले कहते हैं जबकि भूपर्पटी के ऊपर बाहर आये लावा के ठोस होने से बनी शैलों  को वहिर्वेधि शैलें कहते हैं

आग्नेय शैल के प्रकार (Types Of Igneous Rock)

वितलीय शैल

ज्वालामुखी शैल

अधिवितलीय शैल

अवसादी चट्टान (Sedimentary Rock)

खनिज स्रोत: भूसतह पर या निकट अपक्षय और अपरदन या रासायनिक क्रिया द्वारा

शैल निर्माण प्रक्रिया: तलछट जमाव, निक्षेपण दबाव और शिलीभवन

संघटन एवं गठन: मुख्यतः अवसादों से निर्मित, कुछ क्रिस्टलीय, स्तरित/ क्रिस्टलीकृत भी हो सकते ह

वर्गीकरण: वर्गीकरण के लिए बनावट और खनिज संरचना का उपयोग

उदाहरण: बालुकाश्म, शेल, पंकाश्म, चूनाश्म, जीवाश्ममय चूनाश्म

अवसादों से बनी चट्टानों को अवसादी चट्टान कहते हैं अवसादी चट्टानों का अध्ययन अवसादी शैलिकी के अंतर्गत करते है जिसमें अवसादो एवम अवसादी शैलों के गुण, उद्भव एवम उपस्थिति शामिल है अवसाद एक प्रकार के ठोस कण होते है जिनका निर्माण पहले से विद्यमान शैलों के खंडन, जैविक पदार्थों के अवशेष या रासायनिक अवक्षेपण से होता है पूर्ववर्ती शैलों के अपक्षय एवम अपरदन से टूटने के कारण बने छोटे छोटे टुकड़ो को खण्डज कहते है इन खण्डजो को नदियां बहाकर ले जाती है तथा समुद्र में निक्षेपित कर देती है, इनसे बनी अवसादी शैले खण्डज अवसादी शैले कहलाती है

इसके आलावा समुद्र में रासायनिक अवक्षेपण के द्वारा निक्षेपित अवसादों से बनी शैलों को अखण्डज अवसादी शैल कहते है अवसादों के एकत्रित होने के प्रक्रम को अवसादन कहते है अवसादन के तहत अवसादों का बनना, उनका अभिगमन, निक्षेपण आदि का अध्ययन सम्मिलित है

अवसादी शैलों का वर्गीकरण  (Classification of Sedimentary Rocks)

अवसादी शैलों को मुख्य रूप से दो वर्गों में बांटा गया है-

1. खण्डज अवसादी शैल

2. अखण्डज अवसादी शैल

कायांतरित शैल (Metamorphic Rock)

खनिज स्रोत: उच्च तापमान पर भूपर्पटी और ऊपरी प्रावार में दबाव के कारण निर्मित शैल

शैल निर्माण प्रक्रिया: तापमान और दबाव के प्रभाव में पुनः क्रिस्टलीकरण और पुनः संघटन द्वारा नए खनिजों का गठन

संघटन एवं गठन: हमेशा क्रिस्टलीय, क्रिस्टल एकरेखीय, ज्यादातर शल्कन का विकास, वर्गीकरण के लिए संघटन और गठन का उपयोग

वर्गीकरण: वर्गीकरण के लिए बनावट और खनिज संरचना का उपयोग

उदाहरण: क्वार्ट्जाइट, स्लेट, फाइलाइट, शिस्ट, संगमरमर

वह चट्टान जो मौलिक आग्नेय चट्टानों एवम अवसादी चट्टानों पर विभिन्न प्रकार के कायांतरण प्रक्रमों के प्रभाव पड़ने से नई शैलों में परिवर्तित हो जाती है,उन्हें  कायांतरित शैल कहते है

कायांतरण के कारण मौलिक शैलों के गठन, संरचनाओं एवम खनिज संगठनों में भी बदलाव आ जाता है कायांतरित शैलों का भी दोबारा कायांतरण हो सकता है

कायांतरित शैलों का वर्गीकरण (Classification Of Metamorphic Rocks)

कायांतरित शैलों को मुख्य रूप से दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है-

1. शलकित शैलें (Foliated Rocks)

2. अशलकित शैले (Non Foliated Rocks)

शैलविज्ञानी शैलों का अध्ययन क्यों करते हैं ?

शैलविज्ञानी शैलों का अध्ययन करते हैं क्योंकि विभिन्न शैल विशिष्ट परिस्थितियों में बनती हैं जो पृथ्वी की उत्पत्ति और इसके इतिहास की जानकारी हेतु सूत्र प्रदान करती हैं।

शैलविज्ञानी यह भी व्याख्या कर सकते हैं कि अतीत में पृथ्वी पर कार्यरत प्रक्रियाएं भविष्य को कैसे प्रभावित कर सकती हैं पृथ्वी की आकृति को पूर्व तथा वर्तमान में भी प्रभावित करने वाली प्रक्रियाओं को शैलों और खनिजों का अध्ययन करके समझा जा सकता है।

शैल भूदृश्य निर्मित करती हैं और हमें बहुमूल्य खनिज संसाधन प्रदान करती हैं। शैलविज्ञानी उन संसाधनों का पता लगाते हैं जिनमें महत्वपूर्ण धातुएं, खनिज का निक्षेपण होता हैं और खनन गतिविधियों की रूपरेखा बनाते हैं। वे तेल और प्राकृतिक गैस की खोज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

चट्टानों के उपयोग (Uses Of Rocks)

मनुष्य और समाज के लिए शैलों के उपयोग

मृतिका शिल्प, मिट्टी के बर्तन, शीशे के बर्तन: आपने मृतिका शिल्प और मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया होगा। मृतिका/मिट्टी और मृण्मय तत्वों के मिश्रण का उपयोग मृतिका शिल्प में होता है।

शीशे का निर्माण, सिलिका बालू, चूनाश्म आदि से होता है। बर्तन आमौर परएल्यूमीनियम या स्टील या तांबे धातुओ से बने होते हैं। हम इन धातुओं का अयस्कों से निर्ष्कष करते हैं। अयस्क एक खनिज निक्षेप है जिसमें से मूल्यवान धातुएँ लाभप्रद रूप से प्राप्त की जा सकती हैं।

रत्न: वे अपने रंग, शुद्धता, दुर्लभता, आकार और स्थायित्व के लिए हजारों वर्षों से बहुमूल्य माने जाते हैं। वे शैलों में पाए जाते हैं और विभिन्न भूवैज्ञानिक स्थितियों में निर्मित होते हैं।

खाद्य उद्योग: सोडियम क्लोराइड, कैल्शियम कार्बोनेट और अन्य खनिज उत्पाद भोजन, ब्रेड, सूप और अनाज आदि की तैयारी के दौरान उपयोग किए जाते हैं। जल को फिल्टर करने के लिए बालू का उपयोग किया जाता है, उदाहरण के तौर पर डायटोमाइट, यह एक सिलिका खनिज है जो जीवाश्म शैवाल से बनता है)। डायटोमाइट और बेंटोनाइट इन दोनों मृतिका का उपयोग बीयर, फलों के रस और शराब जैसे पेय को शुद्ध करने के लिए किया जाता है।

उर्वरक उद्योग: फॉस्फेट शैल, पोटाश और चूने का उपयोग कृषि उर्वरकों में किया जाता है तथा कुछ अन्य खनिज उत्पादों का उपयोग मृदा की गुणवत्ता में सुधार के लिए किया जाता है। एक अवसादी शैल जिसे ग्लुकोनाइटिक बालुकाश्म के रूप में जाना जाता है, को सीधे चूर्ण बना दिया जाता है और कृषि के लिए खेतों में उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है।

पैकेजिंग उद्यागे: खाद्य, ठंडे और ऊर्जा पेय एल्यूमीनियम या स्टील से बने कैन में पैक किये जा सकते हैं या सिलिका रेत से बने ग्लास में, जो हमें शैलों से प्राप्त होते हैं। प्लास्टिक की पैकेजिंग हाइड्रोकार्बन से प्राप्त रसायनों से बनाई जाती है।

भवन निर्माण सामग्री: क्या आपने कभी सोचा है कि सड़कों और भवनों के निर्माण में उपयोग की जाने वाली टनों निर्माण सामग्री हमें कहाँ से मिलती है? बालुकाश्म, क्वार्ट्जाइट, स्लेट आदि जैसी शैलों का उपयोग निर्माण सामग्री के रूप में किया जाता है। ये स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री हैं। इनके अलावा सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला जैसे भवन की रूपरेखा तैयार करने में प्रयुक्त लोहा, ईंटों और छत के टाइलों के लिए स्लेट, चूनाश्म, मिट्टी, सीमेंट में जिप्सम, प्लास्टर ऑफ पेरिस, खिड़की के कांच में सिलिका बालू, इमारतों के निर्माण में एग्रीगेट के रूप में बालू, बजरी और चूर्ण की हुई शैल आदि का उपयोग किया जाता है।

बिजली उत्पादन: घर, उद्योगा, सेवाओं और परिवहन में उपयोग की जाने वाली ऊर्जा कोयला और पेट्रोलियम जैसे ईंधन खनिजों से प्राप्त होती है। कोयले का उपयोग घरेलू और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है जैसे कि थर्मल पावर हाउस जिनसे बिजली उत्पादन होता है। भूवैज्ञानिक हाइड्रोकार्बन भंडार की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें पेट्रोलियम उद्योग से कई उप-उत्पाद मिलते हैं जैसे प्लास्टिक और कई जैविक उत्पाद। परमाणु ऊर्जा रिएक्टर प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रेडियोधर्मी पदार्थों का उपयोग करते हैं जैसे यूरेनियम, थोरियम और पोटेशियम जो शैलों से निर्ष्कषित किए जाते हैं।

परिवहन: आपके द्वारा की जाने वाली प्रत्येक यात्रा खनिजों पर निर्भर करती है (शैल खनिजों का समुच्चय हैं), चाहे वह कार, ट्रेन, विमान, नांव या पैदल ही हो। एग्रीगेट्स (चूर्ण शैल, बालू और बजरी) का उपयोग सड़कों और फुटपाथों के लिए किया जाता है, जबकि टील से बनी रेलवे पटरियों को एग्रीगेट्स (जिन्हें गिट्टी के रूप में जाना जाता है) पर रखा जाता है। हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन और शिपिंग पोर्ट सभी अपने बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बड़ी मात्रा में निर्माण सामग्री का उपयोग करते हैं।

सूचना और कंप्यूटर प्रौद्योगिकी: हम में से कई लोगों के पास कंप्यूटर और मोबाइल फोन की सुविधा उपलब्ध है, और कई सेवाएं कंप्यूटर और दूरसंचार के अन्य रूपों पर निर्भर करती हैं। इन प्रौद्योगिकियों में खनिजों और धातुओं की एक विस्तृत श्रृंखला की आवश्यकता होती है जैसे तांबा, सोना, प्लैटिनम, टैंटलम, टिन, जस्ता और निकल आदि। क्वार्ट्ज क्रिस्टल में असामान्य गुण होते हैं जो उच्च तकनीकी अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी होते हैं। उदाहरण के लिए, अतिचालक, लेजर, आणविक छलनी और उच्च तापमान वाले मृतिका शिल्प को प्राकृतिक क्रिस्टल से विकसित किया गया है, जो शैलों से प्राप्त होते हैं।

पार्थिवेतर शैलों का संक्षिप्त परिचय (Brief Introduction To Terrestrial Rocks)

हम अपने ग्रह पर पाए जाने वाली शैलों के बारे में चर्चा कर चुके हैं। आईये अब हम पार्थिवेतर शैलों के बारे में विचार करें जो आम तौर पर पृथ्वी पर पाए जाने वाले शैल सामग्री को संदर्भित करते हैं लेकिन जो पृथ्वी पर पहुंचने से पहले ही ठोस में रूपांतरित हो जाते है। पार्थिवेतर शैलों में सामग्रियों की एक विशाल श्रृंखला शामिल होती है।

उन्हें निम्न में वर्गीकृत किया जा सकता हैः

1. उल्कापिंड

2. सूक्ष्म उल्कापिंड

3. अपोला अभियान द्वारा चंद्रमा से पृथ्वी पर लाये गए नमूने

1. उल्कापिंड बड़े पिंडों के टुकड़े होते हैं जो कभी सौर मंडल का हिस्सा थे। उन्हें मूल निकाय कहा जाता है जो छोटे ग्रह या बड़े क्षुद्रग्रह या धूमकेतु हो सकते है। उन्हें आम तौर पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा

सकता हैः

1. शैलीय उल्कापिंड सबसे सामान्य प्रकार के उल्कापिंड हैं।

वे पृथ्वी पर और उसके भीतर पाई जाने वाली शैलों के सदृश्य होते हैं। शैलीय उल्कापिंड मुख्य रूप से लवीनौर पाइरॉक्ज़ीन जैसे खनिजों से बने होते है जिनकी संरचना पृथ्वी के प्रावार के सदृश्य होती है। वे दो प्रकार के होते हैं- कोन्ड्राइट और अकोन्ड्राइट।

i. कोन्ड्राइट शैलीय उल्का के सबसे सामान्य प्रकार है वे पाइरॉक्ज़ीन और लौह-निकल मिश्र धातु जो व्यवहार में चुंबकीय होते हैं से निर्मित होते हैं। वे छोटे गोल आकृतियों से मिलकर बने होते हैं जिन्हें कॉन्डूल कहा जाता है। वे संभवतः सौर प्रणाली के इतिहास में शीघ्रता से पिघलने होने के बाद शीघ्रता से जमने से निर्मित हुये थे। कोन्ड्राइट की रेडियोधर्मी आयु लगभग 4.6 अरब वर्ष पाई गई है।

ii. अकोन्ड्राइट, कोन्ड्राइट के समान खनिजों से बने होते हैं, लेकिन उनमें कॉन्डूल नहीं होते और वे पृथ्वी पर पाए जाने वाले आग्नेय शैलों के सदृश्य होते हैं। इनमें कॉन्डूल अनुपस्थित हैं, क्योंकि उनका गर्म होकर पिघलने के बाद पुनः क्रिस्टलीकरण हो जाता है।

2. लौह उल्कापिंड लोहे और निकल की मिश्र धातुओ से निर्मित होते हैं। उनमें सामान्य भूपर्पटीय शैलों की तुलना में काफी अधिक घनत्व होता है। वे चुंबकीय होते हैं। जब उन्हें काटा और पॉलिश किया जाता है, तो लौह उल्कापिंड एक अलग गठन दर्शाते हैं जिसे विडमैन स्टैटेन पैटर्न कहा जाता है, जो काफी गर्म ठोस पदार्थ का धीमी गति से ठंडा होने के परिणामस्वरूप बनते हैं। लौह उल्कापिंड हमें पृथ्वी के क्रोड की संरचना का परिचय देते हैं।

3. शैलीय लौह उल्कापिंड शैलीय सिलिकेट सामग्री और लौह का मिश्रण होता है। वे लौह-निकल मिश्र धातु के एक मैट्रिक्स में सन्निहित सिलिकेट्स को प्रदर्शित करते हैं। वे एक संकोणाश्म के रूप में भी होतैं, जिसमें शैलीय और लौह सामग्री के टुकड़े गर्मी या रासायनिक प्रतिक्रियाओं के द्वारा एक साथ जुड़े होते हैं।

2. सूक्ष्म उल्कापिंड यानि माइक्रामेटेयोराइट्स अनिवार्य रूप से बिना पिघले हुये सूक्ष्म उल्कापिंड हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से प्रवेश के दौरान सुरक्षित रह गए हैं। इसका आकार 50 माइक्रोन से 2 मिमी तक होता है। वे उल्कापिंडों से कई प्रकार से भिन्न होते हैं, जिनमें उनका छोटे आकार का होना, प्रचुर मात्रा में होना, और संरचना में भिन्न होना प्रमुख हैं। इनमें अंतरिक्ष धूलि और छोटे अंतरग्रहीय धूलकण शामिल होते हैं। कभी-कभी पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने वाले उल्कापिंड और सूक्ष्म उल्कापिंड, उल्कापात या टूटते तारे के रूप में दिखाई देते हैं।

3. अपोलो अभियान द्वारा चंद्रमा से पृथ्वी पर लाये गए नमूने:1969 और 1972 के बीच छह अपोलो अभियानों द्वारा चंद्रमा की सतह से वहाँ के शैलों के 382 किलोग्राम कोर नमूने कंकड़, रेत और धूल को वापस लाया गया। चंद्रमा के शैल और मिट्टी के नमूनों के अध्ययन किए जा रहे हैं और इससे चंद्रमा, पृथ्वी और आंतरिक सौर मंडल के प्रारंभिक इतिहास के बारे में उपयोगी जानकारी प्राप्त होती रहेगी।

सारांश

इस इकाई में हमने जो कुछ अध्ययन किया है, उसे एक बार संक्षेप में दोहरा लेते हैं :

  • शैल एक सुसंगत, प्राकृतिक रूप से उपलब्ध ठोस पदार्थ होता है, जिसमें खनिजों का समुच्चय होता है।
  • भूवैज्ञानिक शैलों का अध्ययन करते हैं क्योंकि (1) उनमें पृथ्वी के ऐतिहासिक पहलू के बारे में संकेत हैं, (2) वो हमें बहुमूल्य संसाधन प्रदान करते हैं, (3) तेल, प्राकृतिक गैस और भूजल और निर्माण सामग्री जैसे ग्रेनाइट, का पता लगाने और प्राप्त करने में सहयोग करते हैं, और (4) वो खनिज समूहों की खोज करते हैं।
  • उत्पत्ति के आधार पर शैलों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है-आग्नेय, अवसादी और कायांतरित।
  • आग्नेय शैल वो शैल हैं जो गर्म पिघले हुये या आंशिक रूप से पिघले हुये पदार्थ जिसे मैग्मा कहा जाता है, के जमने से निर्मित होते हैं। सतह के नीचे या ऊपर उनकी उपस्थिति के आधार पर आग्नेय शैल अंतर्वेधी या बहिर्वेधी हो सकते हैं। उनकी उपस्थिति की अवस्था के आधार पर, उन्हें वितलीय, ज्वालामुखीय या अधिवितलीय समूहों में रखा गया है।
  • अवसादी शैल वह शैल है जो किसी विलयन से अदृढ़ अवसाद या तलछट या रासायनिक अवक्षेपण के समेकन या एक कार्बनिक शैल जिसमें पौधों और जानवरों के स्राव या अवशेष होते हैं, के परिणामस्वरूप निर्मित होते हैं। अवसादी शैलों को (i.) यांत्रिक रूप से गठित खंडज शैलों, और (ii.)रासायनिक रूप से निर्मित अखंडज शैलों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • कायांतरित शैल पृथ्वी की भूपर्पटी की गहराई पर पहले से मौजूद शैलों में तापमान, दबाव और रासायनिक रूप से सक्रिय तरल पदार्थों के प्रभाव की प्रतिक्रिया में खनिजीय, रासायनिक या संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण रूपांतरित शैल हैं।
  • शैल चक्र प्लेट विवर्तनिकी से संबंधित एक सतत् प्रक्रिया है। शैल चक्र का प्रारंभ प्रावार से प्राप्त मैग्मा के शीतलन और संपिंडन से होता है, जो बाद में वायुमंडलीय माध्यमों के संपर्क में आने से सामान्य तापमान और दबाव में अवसादी शैलों में बदल जाते है और तापमान और/या दबाव में वृद्धि से कायांतरित शैलों में परिणत हो जाते है।
  • मानव जीवन के हर क्षेत्र में बहुपयोगी हैं। इसलिए उनका उपयोग मृतिका शिल्प, मिट्टी के बर्तन, कांच और घरेलू सामान, रत्न, खाद्य, उर्वरक, पैकेजिंग, निर्माण सामग्री, बिजली उत्पादन, परिवहन और सूचना और कंप्यूटर प्रौद्योगिकी जैसे उद्योगों में किया जाता है।
  • पार्थिवेतर शैलों में अपोलो मिशनों द्वारा पृथ्वी पर लाये गये उल्कापिंडों, सूक्ष्म उल्कापिंडों और चंद्रीय चट्टानों जैसी सामग्री की एक विपुल श्रृंखला शामिल है।

FAQ

शैल की परिभाषा क्या है?

पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल इन सभी को चट्टान कहा जाता हैं।

शैल किसे कहते हैं शैल कितने प्रकार के होते हैं?

भूपर्पटी बनाने वाले खनिज पदार्थों के किसी भी प्राकृतिक पिंड को शैल कहते हैं ।  प्रमुख्य रूप से चट्टान तीन प्रकार की होती हैं – आग्नेय (इग्नियस) चट्टान, अवसादी (सेडिमेंट्री) चट्टान एवं कायांतरित (मेटामार्फिक) चट्टान।

शैल कैसे बनता है?

अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न क्रियाओ के द्वारा मौलिक चट्टानों के विघटन, वियोजन और टूटने के परिणामस्वरुप उनके अवसादों से निर्मित चट्टान को अवसादी शैल (Sedimentary Rock) कहा जाता हैं। वायु, जल और हिम के निरन्तर प्रभाव से पूर्वस्थित चट्टानों का निरंतर अपक्षय होता रहता है।

मिट्टी और शैल में क्या अंतर होता है?

पृथ्वी के ऊपरी सतह पर कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को ‘मृदा’ मिट्टी कहते हैं। पृथ्वी की ऊपरी सतह से मिट्टी हटाने पर जो परत प्राप्त होती है उसे चट्टान कहते है।

सबसे कठोर चट्टान कौन सी होती है?

आग्नेय (Igneous) चट्टान सबसे मजबूत चट्टान होती है जो ज्वालामुखी से निकलने वाले लावा से बनती है ।

चट्टान क्या है? (What is rocks)

चट्टान एक ठोस पिड (Solid Mass) है, जो खनिजों से मिलकर बनी है। सामान्यतः चट्टानें खनिजों का मिश्रण होता है जो बहुत सारे खनिजों से मिलकर बनी होती है तथा कुछ चट्टानें ऐसी भी होती है जो केवल एक ही खनिज से बने होते हैं । उदाहरण के लिए लाइमस्टोन चट्टान जो केवल कैल्साइट खनिज से बनी है।

खनिज और सेल में क्या अंतर है?

चट्टानें – एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण जो स्थलमंडल का निर्माण करता है। खनिज– भूपर्पटी से प्राप्त वह पदार्थ जिसमें चट्टानों के विपरीत प्रायः एक विशेष प्रकार की रासायनिक संरचना होती है।

आग्नेय शैल कितने प्रकार के होते हैं?

आग्नेय चट्टान दो प्रकार की होती हैं। ये हैं (1) अन्तर्भेदी आग्नेय चट्टान और (2) बहिर्भेदी आग्नेय चट्टान।

हीरा कौन सी चट्टान में पाया जाता है?

किम्बरलाइट चट्टानों में हीरे पाये जाते हैं।

भारत की सबसे पुरानी चट्टान कौन सी है?

भारत में सबसे पुरानी चट्टानें धारवाड़ क्रम की चट्टानें जोकि कर्नाटक में पायी जाती हैं।

अवसादी शैल का अर्थ क्या है?

अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न क्रियाओं द्वारा मौलिक चट्टानों के विघटन, वियोजन और टूटने के परिणामस्वरुप उनके अवसादों से निर्मित चट्टान को अवसादी चट्टान (Sedimentary Rock) कहते हैं।

कोयला कौन सा चट्टान है?

कोयला एक ठोस अवसादी चट्टान है, जो काली या गहरी भूरी रंग की होती है।

आग्नेय चट्टान कैसे बनती है?

आग्नेय चट्टानें पिघले हुए ज्वालामुखी पदार्थ के ठंढे होकर जमने से बनती हैं। ये रवेदार भी हो सकती है और बिना रवे के भी।

नमक की चट्टान कौन सी चट्टान है?

नमक की अवसादी चट्टानें (Sedimentary rock) है

संगमरमर कौन सी चट्टान है?

संगमरमर एक कायांतरित चट्टान है जिसका निर्माण अवसादी कार्बोनेट चट्टानों के कायांतरण के फलस्वरूप होता है। यह अवसादी कार्बोनेट चट्टानें चूना पत्थर या डोलोस्टोन, या फिर पुराना संगमरमर हो सकती है।

सबसे पुरानी चट्टान कौन है?

धारवाड़ क्रम की चट्टानें सबसे प्राचीन चट्टानें हैं ये चट्टानें जीवाश्म रहित हैं। जोकि कर्नाटक राज्य में पायी जाती है

आग्नेय और अवसादी चट्टानों में क्या अंतर है?

मैग्मा और लावा के जमने से आग्नेय चट्टान का निर्माण होता है। इसे प्राथमिक चट्टान के रूप में भी जाना जाता है। जबकि अवसादी चट्टानें बहिर्जात प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित चट्टानें होती है।

प्राथमिक और द्वितीयक चट्टानें क्या हैं?

मैग्मा के जमने से जो चट्टानें बनती है उन्हें प्राथमिक चट्टान के नाम से भी जाना जाता है। जबकि द्वितीयक चट्टानें बहिर्जात प्रक्रियाओं द्वारा चट्टानों के टुकड़ों के जमाव का परिणाम हैं।

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