प्रिंट मीडिया क्या है PDF | What Is Print Media In Hindi

प्रिंट मीडिया क्या है (What Is Print Media In Hindi) का अर्थ है-यदि किसी सूचना या संदेश को लिखित माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने में प्रिंट मीडिया का बहुत ही बड़ा योगदान है। प्रिंट मीडिया के माध्यम समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ हैं।

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प्रिंट मीडिया क्या है | What Is Print Media In Hindi

प्रिंट मीडिया देश-विदेश में चल रहे घटनाक्रम को जनमानस तक पहुंचाने और जनमत से सरकार को अवगत कराने का माध्यम है  | समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं जनता के ना केवल मनोरंजन का साधन है  बल्कि उनके व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायक होते हैं |  इसका राष्ट्र व समाज निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान होता है |

प्रिंट मीडिया भारत में एक बहुत विस्तृत क्षेत्र है | प्रिंट मीडिया का भारतीय लोकतंत्र के सशक्तिकरण में तथा समाज के निचले स्तर तक सूचनाओं की पहुंच बढ़ाने में सराहनीय योगदान रहा है |

प्रिंट मीडिया की उत्पत्ति एवं विकास (Origin And Development Of Print Media)

ऐतिहासिक रूप से प्रिंट मीडिया का जन्म राजाओं द्वारा लिखित घोषणा के प्रचार और प्रसार के साथ हुआ है, परंतु व्यवस्थित तौर पर प्रिंट मीडिया की उत्पत्ति छापाखाने के आविष्कार के साथ मानी जाती है।

हालांकि पहले भी मीडिया की उपस्थिति थी, लेकिन पांडुलिपियों के साथ अधिक लोगों तक सूचना का प्रसार संभव नहीं था और लिखित सूचनाओं को मौखिक रूप से पढ़कर जनसमूह को सुनाने का प्रचलन था।

प्राचीन काल में साधु-संतों धर्म प्रचारकों और राजाओं के जूतों का जगह जगह पर जाकर सूचनाएं प्रदान करना और प्राप्त करना इसी श्रेणी के अंतर्गत आता था।

विश्व में प्रिंट मीडिया की उत्पत्ति का श्रेय जर्मनी को है। सन् 1980 तक केवल जर्मनी के बर्लिन शहर से ही 55 से अधिक समाचार पत्रों का प्रकाशन होने लगा।

भारत में मीडिया का विकास के चरण (Stages Of Development Of Media In India)

भारत में प्रिंटिंग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तगालियों को जाता है। 1557 ई. में गोवा के कुछ पादरी लोगों ने भारत की पहली पुस्तक छापी। 1684 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भी भारत में प्रिंटिंग प्रेस ‘मुद्रणालय’ की स्थापना की।

भारत में पहला समाचार-पत्र निकालने का प्रयत्न कम्पनी के असंतुष्ट कार्यकर्त्ताओं ने किया था, जिनका उद्देश्य कम्पनी के अधिकारियों के अनुचित कार्यो का भण्डा फोड़ करना था।

इस दिशा में पहला प्रयत्न 1776 ई. में विलियम बोल्ट्स ने किया था लेकिन शासकीय पक्ष की प्रतिक्रिया के कारण वह समाचार पत्र निकालने में सफल नहीं हुआ था।

भारत का पहला समाचार पत्र 1780 ई. में जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने निकाला था जिसका नाम ‘द बंगाल गजट’ अथवा ‘द कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर’ था। लेकिन सरकारी अधिकारियों की आलोचना करने के कारण इसका प्रेस जब्त कर लिया गया।

इसके बाद तो भारत में संचार के क्षेत्र में क्रांति-सी आ गई और एक के बाद एक कई अखबार प्रकाशित हुए।

नवंबर 1780 में प्रकाशित ‘इण्डिया गजट’ दूसरा भारतीय समाचार पत्र था। उसके बाद 1784 में ‘कलकत्ता गजट’, 1785 में ‘बंगाल जनरल’, 1785 में ही ‘द ओरिएण्टल मैंग्जीन ऑफ कलकत्ता’, 1786 में ‘कलकत्ता क्रॉनिकल’, 1788 में ‘मद्रास कूरियर’ इत्यादि।

प्रिंट मीडिया के विभिन्न प्रकार (Different Types Of Print Media)

प्रिंट मीडिया को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-

पत्रिका

पत्रिका विभिन्न विषयों पर विस्तृत लेख प्रदान करती है, जैसे कि भोजन, फशन, खेल, वित्त, जीवन शैली, और इसी तरह। पत्रिकाओं को साप्ताहिक, मासिक, त्रौमासिक या वार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाता है, और उनमें से कई पूरी दुनिया में बेची जाती हैं।

समाचार पत्र

समाचार पत्र प्रिंट मीडिया का सबसे लोकप्रिय रूप है। वे आम तौर पर घर पर वितरित किए जाते हैं, या न्यूजस्टैंड पर उपलब्ध होते हैं, और लोगों के एक बड़े पैमाने पर जल्दी से पहुंचने के लिए यह सबसे सस्ता तरीका है। विभिन्न प्रकार के समाचार पत्र विभिन्न ऑडियंस को पूरा करते हैं, और कोई विशेष श्रेणी के अनुसार चयन कर सकता है।

बिलबोर्ड

होर्डिंग और पोस्टरों पर विज्ञापन से विज्ञापनदाताओं को इस कदम पर उपभोक्ताओं तक पहुंचने का अवसर मिलता है। उदाहरण के लिए, रिटेल मॉल में पोस्टर लगाना, विज्ञापनदाताओं को खरीद के बिंदु के करीब उपभोक्ताओं तक पहुंचने में मदद करता है। ट्रेन स्टेशनों, हवाई अड्डों या व्यस्त टाउन सेंटरों में पोस्टर या होर्डिंग में उपभोक्ताओं के बड़े समूहों तक पहुंचने की क्षमता है।

बैनर

कई स्थानों पर बैनर कपड़े, या कागज से बने होते हैं और नारे, लोगों को या कुछ संदेश दिखाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसका उपयोग प्रदर्शनियों में ब्रांड के विज्ञापन के लिए भी किया जाता है, जो प्रदान किए जा रहे उत्पादों या सेवाओं के नाम देता है। बैनर की तरह, पोस्टर भी उसी उद्देश्य के लिए उसी श्रेणी में आते हैं।

किताबें

पुस्तकें प्रिंट मीडिया का सबसे पुराना रूप है जो संचार और सूचना के टुकड़े के रूप में उपयोग किया जाता है। वे लेखकों को एक विशेष विषय के बारे में पूरी दुनिया में अपना ज्ञान फलाने का अवसर देते हैं। वे एक विविध मंच हैं, जिसमें विभिन्न विषय शामिल हैं, जिनमें साहित्य, इतिहास, कथा कहानियां, और बहुत कुछ शामिल हैं, जो न केवल हमारे ज्ञान को बढ़ाते हैं, बल्कि हमारा मनोरंजन भी करते हैं।

भारत में प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र (Daily Newspaper Published In India)

1. दैनिक जागरण

2. हिंदुस्तान

3. दैनिक भास्कर

4. राजस्थान पत्रिका

5. अमर उजाला

6. पत्रिका

7. प्रभात खबर

8. नव भारत टाइम्स

9. हरि भूमि

10. पंजाब केसरी

प्रिंट मीडिया की प्रमाणिकता (Authenticity Of Print Media)

प्रिंटमीडिया आम से खास लोगों के जीवन का हिस्सा है। इसी से सुबह की शुरुआत होती है। अन्य माध्यमों की अपेक्षा प्रिंट मीडिया में स्थायित्व होता है। इसमें प्रामाणिकता होती है। इस कारण लोग उपयोगी सूचनाएं एकत्र करक रखते हैं।

यह दुनिया में हो रहे अनुसंधान, आविष्कार, राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक जगत की नवीनतम घटनाओं को विस्तार से बताता है। शहर के खास लोगों का कहना है कि इसकी अहमियत भविष्य में भी बनी रहेगी।

प्रिंट मीडिया की भूमिका (Role Of Print Media)

विभिन्न क्षेत्रों में प्रिंट मीडिया का योगदान निम्नलिखित बिंदुओं से स्पष्ट किया जा सकता है –

1. प्रिंट मीडिया सामाजिक चेतना को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | क्योंकि समाचार पत्रों में केवल सूचनाएं नहीं होती बल्कि लेखों में उनका विश्लेषणात्मक अध्ययन होता है |

2. प्रिंट मीडिया के माध्यम से लोग प्रेरक व्यक्तित्व, स्वतंत्रता सेनानी और अन्य उपलब्धियों को प्राप्त करने वाले लोगों के बारे में पढ़कर जागरूक होते हैं, जो उनके व्यक्तित्व निर्माण में सहायता करता है |

3. समाचार पत्र द्वारा अन्याय, शोषण, अत्याचार तथा भ्रष्टाचार को उजागर किया जाता है, जिससे राजनीति और समाज की वास्तविकताओं से लोग अवगत होते हैं |

4. पत्रकारिता युगीन समस्याओं, आशाओं और आकांक्षाओं पर चिंतन मनन करते हैं, जिससे आम जनमानस में संतुलित चिंतन चेतना, रचनात्मक विकास को बढ़ावा मिलता है |

5. प्रिंट मीडिया जन-जन को जोड़ने का कार्य करती है तथा समाज के विभिन्न वर्गों में आपसी समझ के भाव को विकसित करते हुए एक मेलजोल की संस्कृति के विकास में सहायक बनती है |

6. प्रिंट मीडिया आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में सहायता करती है | विज्ञापन के इस दौर में विभिन्न उत्पादों को स्थानीय स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रिंट मीडिया में उनका प्रचार किया जाता है |

प्रिंट मीडिया की विशेषताए (Features Of Print Media)

प्रिंट (मुद्रित) माध्यमों की विशेषताएँ

प्रिंट माध्यमों के वर्ग में अखबारों, पत्रिकाओं, पुस्तकों आदि को शामिल किया जाता है। हमारे दैनिक जीवन में इनका विशेष महत्त्व है।

प्रिंट माध्यमों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. प्रिंट माध्यमों के छपे शब्दों में स्थायित्व होता है।

2. हम उन्हें अपनी रुचि और इच्छा के अनुसार धीरे-धीरे पढ़ सकते हैं।

3. पढ़ते-पढ़ते कहीं भी रुककर सोच-विचार कर सकते हैं।

4. इन्हें बार-बार पढ़ा जा स कता है।

5. इसे पढ़ने की शुरुआत किसी भी पृष्ठ से की जा सकती है।

6. इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखकर संदर्भ की भाँति प्रयुक्त किया जा सकता है।

7. यह लिखित भाषा का विस्तार है, जिसमें लिखित भाषा की सभी विशेषताएँ निहित हैं।

प्रिंट मीडिया की कमियाँ (Disadvantages Of Print Media)

1. निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम किसी काम के नहीं हैं।

2. मुद्रित माध्यमों के लिए लेखन करने वालों को अपने पाठकों के भाषा-ज्ञान के साथ-साथ उनके शैक्षिक ज्ञान और योग्यता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।

3. पाठकों की रुचियों और जरूरतों का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है।

4. ये रेडियो, टी.वी. या इंटरनेट की तरह तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते। ये एक निश्चित अवधि पर प्रकाशित होते हैं। जैसे अखबार 24 घंटे में एक बार या साप्ताहिक पत्रिका सप्ताह में एक बार प्रकाशित होती है।

5. अखबार या पत्रिका में समाचारों या रिपोर्ट को प्रकाशन के लिए स्वीकार करने की एक निश्चित समय-सीमा होती है, इसलिए मुद्रित माध्यमों के लेखकों और पत्रकारों को प्रकाशन की समय-सीमा का पूरा ध्यान रखना पड़ता है।

प्रिंट मीडिया की समस्याएं (Print Media Problems)

पूंजीवाद का बाजारीकरण के दौर में प्रिंट मीडिया में कई समस्याएं उत्पन्न हुई है जो निम्नलिखित हैं –

1. प्रिंट मीडिया की तटस्थता में कमी आई है, प्रिंट मीडिया व्यापारिक घरानों के प्रभाव में आ गई है तथा किसी ना किसी राजनीतिक विचारधारा के हित का संरक्षण कर रही है जिससे उसकी विश्वसनीयता खतरे में है |

2. प्रिंट मीडिया आज एक उत्पाद बन गया है जिससे अखबारों के पन्ने तो रंगीन होती जा रहे हैं, लेकिन उन्हें विचार शून्यता साफ झलकती है |

3. समाचार पत्रों में ना केवल विचारों का अभाव है बल्कि उसकी ब्रिटिश विपरीत उसमें फिल्मों, लजीज व्यंजन और सेक्स संबंधित ऐसी तमाम सामग्री परोसी जा रही है जो मनुष्य के जीवन में बहुत अहम स्थान रखते हैं |

4. आज पत्रकारिता के उद्देश्यों में भटकाव आ रहा है, आम आदमी की रिपोर्टिंग के स्थान पर क्रिकेट, सेलिब्रिटी की निजी जिंदगी, गलत बयान बाजी आदि की महत्ता बढ़ गई है |

प्रिंट मीडिया से संबंधित प्रमुख अधिनियम (Major Acts Related To Print Media)

देश की आजादी को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक परिभाषित किया गया है। परंतु अनुच्छेद 19 (2) दो में प्रेस की आजादी को निम्न वर्गों के अंतर्गत परिसीमित किया गया है-

1. भारत की संप्रभुता, अखंडता, राज्यों की सुरक्षा और लोक कल्याण से संबंधित प्रेस अधिनियम।

2. न्यायालय की अवमानना और मानहानि से संबंधित प्रेस को प्रभावित करने वाले अधिनियम।

3 शिष्टाचार और सदाचार के हित में प्रेस को प्रभावित करने वाले अधिनियम।

4. प्रेस सेवा संबंधी अधिनियम।

5. प्रेस को संचालित करने वाले अधिनियम।

6. प्रेस पर नियंत्रण रखने वाले अधिनियम।

इस प्रकार भारतीय प्रिंट मीडिया को उसके प्रकाशन से लेकर वितरण और मूल्य निर्धारण तक अनेक अधिनियमों को ध्यान में रखना पड़ता है प्रकाशन सामग्री पर इतना अधिक ध्यान दिया जाता है कि कई बार सही बातों को भी छापने से पहले अखबारों को सोचना पड़ता है कि यह किसी अधिनियम का उल्लंघन तो नहीं है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में अंतर (Difference Between Electronic Media And Print Media)

प्रिंट मीडिया

प्रिंट मीडिया पुत्री प्रकाशनों के माध्यम से समाचार और सूचना का निर्माण और प्रसार करता है।

इसके मुख्य प्रकार समाचार पत्र, पुस्तक, पत्रिकाएं आदि हैं।

प्रिंट मीडिया 24 घंटा उपलब्ध नहीं रहता है।

प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में धीरे-धीरे काम करता है।

यह महंगा है।

प्रिंट मीडिया की पहुंच सीमित है यह केवल विशेष क्षेत्र में ही उपलब्ध है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सभी दर्शकों के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से समाचार या ज्ञान को साझा करता है।

इसके मुख्य प्रकार इंटरनेट, टेलीविजन, रेडियो आदि।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 24 घंटे उपलब्ध रहता है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया कहीं ज्यादा तेज है।

प्रिंट मीडिया से बहुत ही सस्ता माध्यम है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पहुंच दुनिया भर में है।

प्रिंट मीडिया में प्रयोग की जाने वाली भाषा

प्रिंट मीडिया में जैसे-जैसे लोकेलाइजेशन बढ़ा है उसी तरह से भाषा में प्रयोग अच्छे से किये जा रहे हैं। वो लोग एक अच्छे ढंग से खबरों को पेश कर रहे हैं।

टीवी ने भाषा में प्रयोग जरूर किये लेकिन उन्होंने जो प्रयोग किये इससे भाषा के लिए चिंता पैदा कर दी है। जिस प्रकार से प्रिंट मीडिया ने भाषा की गरिमा को बचाया है उसी प्रकार बाकी मीडिया को इसका ख्याल रखना चाहिए।

जो चीज आज तक प्रिंट मीडिया बताता आ रहा है। उसे अब वेब बता रहा है। और वेब बहुत जरूरी हो गया है। हम लोग बहुत ही ज्यादा तकनिकी हो गये हैं

मीडिया के मूलभूत सिद्धांत (Fundamentals Of Media)

1. समाचार व उनकी तकनीकी का ज्ञान– प्रत्येक संचार माध्यम की अपनी कुछ विशेषता होती है, जिसके विषय में मीडिया लेखक को अच्छी तरह जानकारी होनी चाहिए।

2. लक्षित वर्ग-मीडिया लेखक को अपने लक्षित माध्यम और उसके वर्ग को दृष्टि में रखकर ही अपना लेखन करना होता है।

जैसे समाचार तत्वों में

आर्थिक जगत के लोगों,

खेल में रुचि रखने वाले लोगों

बच्चों, महिलाओं, किसानों आदि के लिए अनेक प्रकार की सामग्री होती है।

इन सभी वर्गों के लिए विशेष प्रकार के लेखन की आवश्यकता होती है।

3. स्थान एवं समय सीमा- प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक दोनों ही जनसंचार के माध्यम है, इसलिए इनके प्रकाशन व प्रसारण को ध्यान में रखकर ही लेखन कार्य किया जाता है। प्रिंट माध्यमों में विशेष रूप से समाचार पत्रों के मुख्य समाचारों के लिए अधिक और गूढ़ समाचारों के लिए कम स्थान निर्धारित होता है।

4. मीडिया के आचार संहिता का ज्ञान- जनसंचार के माध्यम की पहुंच और क्षमता के अनुरूप उसका विशाल पाठक श्रोता और दर्शक वर्ग है। हमारा समाज विभिन्न संप्रदायों, भाषा-भाषियों, वर्गों आदि से बना है। इन सभी को ध्यान में रखकर पत्राकारिता की एक आचार संहिता का निर्माण किया गया है। इस आचार संहिता का पालन करना प्रत्येक जनसंचार माध्यमों के लिए आवश्यक है।

5. विधा चयन भेंटवार्ता कहानी आदि– जनसंचार के विभिन्न माध्यमों में अनेक विधाएं हैं, सभी विधाओं में हर व्यक्ति पारंगत नहीं हो सकता। इसलिए मीडिया लेखक को अपने आप को भी अभिव्यक्त करने के लिए उपयुक्त विधा का चयन करना आवश्यक है।

समग्रतः हम कह सकते हैं कि जनसंचार के माध्यम पहले की अपेक्षा अधिक प्रासंगिक है। लोगों का भरोसा आधुनिक जनसंचार माध्यमों पर अधिक है, अतः लेखक को चाहिए की वह पाठक, श्रोता का यह विश्वास न टूटने दे।

समाज में मीडिया की भूमिका (Role Of Media In Society)

लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिये मीडिया को ‘‘चौथे स्तंभ’’ के रूप में जाना जाता है।

18वीं शताब्दी के बाद से, खासकर अमेरिकी स्वतंत्रता आंदोलन और फ्रांसीसी क्रांति के समय से जनता तक पहुँचने और उसे जागरूक कर सक्षम बनाने में मीडिया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मीडिया अगर सकारात्मक भूमिका अदा करें तो किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है।

वर्त्तमान समय में मीडिया की उपयोगिता, महत्त्व एवं भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है। कोई भी समाज, सरकार, वर्ग, संस्था, समूह व्यक्ति मीडिया की उपेक्षा कर आगे नहीं बढ़ सकता।

आज के जीवन में मीडिया एक अपरिहार्य आवश्यकता बन गया है। अगर हम देखें कि समाज किसे कहते हैं तो यह तथ्य सामने आता है कि लोगों की भीड़ या असंबद्ध मनुष्य को हम समाज नहीं कह सकते हैं।

समाज का अर्थ होता है संबंधों का परस्पर ताना-बाना, जिसमें विवेकवान और विचारशील मनुष्यों वाले समुदायों का अस्तित्व होता है।

मीडिया एक समग्र तंत्र है जिसमें प्रिंटिंग प्रेस, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, रेडियों, सिनेमा, इंटरनेट आदि सूचना के माध्यम सम्मिलित होते हैं।

अगर समाज में मीडिया की भूमिका की बात करें तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि समाज में मीडिया प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्या योगदान दे रहा है एवं उसके उत्तरदायित्वों के निर्वहन के दौरान समाज पर उसका क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

प्रभाव पर गौर करने पर स्पष्ट होता है कि मीडिया की समाज में शक्ति, महत्ता एवं उपयोगिकता में वृद्धि से इसके सकारात्मक प्रभावों में काफी अभिवृ( हुई है लेकिन साथ-साथ इसके नकारात्मक प्रभाव भी उभर कर सामने आए हैं।

मीडिया ने जहाँ जनता को निर्भीकता पूर्वक जागरूक करने, भ्रष्टाचार को उजागर करने, सत्ता पर तार्किक नियंत्रण एवं जनहित कार्यों की अभिवृद्धि में योगदान दिया है, वहीं लालच, भय, द्वेष, दुर्भावना एवं राजनैतिक कुचक्र के जाल में फंसकर अपनी भूमिका को कलंकित भी किया है।

प्रिंट मीडिया में इंटरनेट और टेक्नोलॉजी का आगमन

इंटरनेट के परिचय से पूर्व लोगों के लिए अखबार ही जानकारी के स्रोत थे। 1826 में हिन्दी का पहला अखबार ‘उदंत मार्तंड’ आया। आजादी से पूर्व जितने भी अखबारों का प्रकाशन शुरू हुआ, उन सभी में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की बात कही जाती थी।

लोगों को ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के बारे में बताया जाता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अखबारों का पैटर्न बदला और अब अखबारों में सभी क्षेत्रों की खबरों को महत्त्व दिया जाने लगा। अखबार अब टू एजुकेट, टू इंटरटेन, टू इंफॉर्म के सिद्धांत पर चलने लगे।

2017 में अखबारों की विश्वसनीयता के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि अखबारों ने टेक्नोलॉजी को अपना लिया।

क्या प्रिंट मीडिया का धीरे-धीरे पतन हो रहा है?

आंकड़ों को देखने के बाद यह कोई भी नहीं कह सकता कि अखबारों का पतन हो रहा है। इलेक्ट्रॉनिक, वेब, सोशल, पैरालल आदि मीडिया उपलब्ध होने के बाद भी प्रिंट मीडिया के इतना पॉपुलर होने के पीछे कई कारण हैं जिनमें लोगों का शिक्षित होना सबसे बड़ा कारण है।

जहां विकसित देशों में अखबारों के प्रति लोगों का रुझान घट रहा है वहीं भारत में इसके विपरीत प्रिंट मीडिया का प्रसार बढ़ रहा है।

सन् 2011 की जनगणना के अनुसार पता चलता है कि भारत में साक्षरता दर बढ़ी है 2001 की तुलना में। भारत में लोग शिक्षित हो रहे हैं, साथ ही साथ उनमें पढ़ने और जानने की उत्सुकता बढ़ रही है जिसके कारण भारत में प्रिंट मीडिया का प्रसार बढ़ रहा है।

निष्कर्षः इस तरह यह कहा जा सकता है कि भारत में रोव डावसन की विलुप्तप्राय होने के समयकाल से डरने की जरुरत नहीं है। प्रिंट मीडिया का भविष्य अभी बेहतर है और इस मीडिया का भविष्य हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाई पत्रकारिता पर निर्भर लगती है।

आज भी लोग किसी भी खबर की सत्यता को जानने, विस्तृत जानकारी प्राप्त करने और जागरूकता बढ़ाने में अखबार का सहारा लेते हैं।

प्रिंट मीडिया भले ही बहुत ही धीमा माध्यम हो, परंतु यह आज के कम्प्यूटर के युग में यह प्रगति कर रहा है। इन सब बातों के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रिंट मीडिया का भविष्य उज्ज्वल है।

FAQ

प्रिंट माध्यम का दूसरा नाम क्या है?

मुद्रित माध्यम

भारत में प्रिंट मीडिया की शुरुआत कब हुई?

पंद्रहवीं और सोलहवीं सदी में ईसाई मिशनरी धार्मिक साहित्य का प्रकाशन करने के लिए भारत में प्रिंटिंग प्रेस ला चुके थे। भारत का पहला अख़बार बंगाल गज़ट भी 29 जनवरी 1780 को जेम्स ऑगस्टस हिकी ने निकाला।

प्रिंट मीडिया का पहला रूप क्या था?

सबसे पहला ज्ञात रूप वुडब्लॉक था

प्रिंट मीडिया की खोज किसने की?

गोल्डस्मिथ और आविष्कारक जोहान्स गुटेनबर्ग जर्मनी के मैन्ज़ से राजनीतिक निर्वासन में थे

प्रिंट करने वाला पहला देश कौन सा है?

जर्मनी

भारत में प्रिंटिंग प्रेस कौन लाया?

भारत में प्रिंटिंग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तगालियों को दिया जाता है। गोवा में वर्ष 1557 में कुछ ईसाई पादरियों ने एक पुस्तक छापी थी, जो भारत में मुद्रित होने वाली पहली पुस्तक थी। 1684 में  भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी की।

हिंदी भाषा में छपाई किस वर्ष शुरू हुई?

हिंदी मीडिया का इतिहास दो सौ साल पुराना है, हिंदी भाषा में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र उदंत मार्तंड था और पहला उपन्यास परीक्षा गुरु 1882 में प्रकाशित हुआ था।

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